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व्रत कथा कोष
पूर्ण होने पर उस समय शांति विधान करे, महाभिषेक करे, चारों संघों को दान देवे।
कथा
राजा श्रेणिक और रानी चेलना की कथा पढ़े।
. अथ अरनाथ तीर्थ कर चक्रवति व्रत कथा
व्रत विधि :-चैत्र आदि १२ महिने में किसी एक महीने के शुक्ल पक्ष में सप्तमी को एकाशन करना चाहिये और अष्टमी और १४ को शुद्ध कपड़े पहन कर अष्ट द्रव्य लेकर मन्दिर जाना चाहिए। पीठ पर भूतकाल के अमल प्रभु तीर्थंकर की प्रतिमा यक्ष यक्षी सहित विराजमान कर पंचामृत अभिषेक करे । फिर भगवान के सामने सात स्वस्तिक निकाल कर उसके ऊपर सात पत्ते रखकर अष्ट द्रव्य रखे। और निर्वाण से अमल प्रभ तक पूजा करे । पंच पकवान का नैवेद्य बनाये ।
____ जाप :-"ॐ ह्रीं अहं अमल प्रभ तीर्थ कराय यक्ष यक्षी सहिताय नमः स्वाहा"।
इस मन्त्र का १०८ बार जाप करे । णमोकार की एक माला फेरे । कथा पढ़नी चाहिये फिर आरती करनी चाहिये । उस दिन उपवास करना चाहिए । दूसरे दिन पूजा व दान करके उपवास करना चाहिए ।
इस प्रकार चार अष्टमी व तीन चतुर्दशी ऐसी सात तिथि पूर्ण होने पर उद्यापन करे । उद्यापन के दिन अमल प्रभ तीर्थ कर का विधान करके महाभिषेक करे । चतुर्विध संघ को आहार दान दे । मंदिर में उपकरण आदि रखे । ऐसी व्रत की विधि है।
कथा
इस जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र में कच्छ देश में क्षेमपुर नामक एक रमणीय नगर है । वहां नंदक नामक राजा राज्य करता था । उसके पास मंत्री, पुरोहित, राजश्रेष्ठी आदि परिवार था।