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________________ व्रत कथा कोष रानी को पट्ट रानी बनाकर रानी का बहुत सम्मान किया, फिर सब ने मिल कर व्रत का उद्यापन बहुत ठाट से किया, सुख से राज्यभोग करने लगे । अन्त में दोनों दंपती दीक्षा लेकर तपश्चरण करने लगे, तप के प्रभाव से स्वर्ग में उत्पन्न हुए, क्रम से मोक्ष को जाएंगे। प्रार्तध्याननिवारण व्रत कथा व्रत विधि : - पहले के समान करें। अन्तर सिर्फ इतना है कि वैशाख कृष्ण १० के दिन एकाशन करें, ११ के दिन उपवास व पूजा आराधना मंत्र जाप करें। अभयकुमार व्रत कथा व्रत विधि :-किसी भी महिने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को एकाशन करे, और पंचमी को अष्ट उपवास करे। उस दिन सुबह शुद्ध कपड़े पहन कर द्रव्य लेकर मन्दिर जाये, वेदी मूलनायक के पास पंचपरमेष्ठी प्रतिमा स्थापित कर पंचामृत अभिषेक करे । एक पाटे पर पांच स्वस्तिक बनाकर अष्ट द्रव्य पान रखे पंच परमेष्ठी श्रुत व गुरु की पूजा करे, स्तोत्र पढ़ । यक्ष यक्षी व ब्रह्मदेव की अर्चना करें। जाप :- “ॐ ह्रीं अह अहत्सिद्धाचार्योपाध्याय सर्वसाधुभ्यो नमः स्वाहा" इस मन्त्र का जाप १०८ बार पुष्पों से करे। णमोकार मंत्र का १०८ बार जाप करे । मंगल आरती करे । सत् पात्र को दान दे । दूसरे दिन पूजा व दान देकर पारणा करे। इस क्रम से ५ तिथि पूर्ण होने पर उद्यापन करे, उस दिन पंचपरमेष्ठि विधान करके ५ दम्पती को भोजन करावे । ___... - .... कथा यह व्रत अपने तीसरे भव में एक ब्राह्मण ने यथा विधि पालन किया था, जिससे मोक्षसुख मिला। अपकायनिवारण व्रत कथा व्रत विधि :-व्रतविधि पहले के समान ही करना । अन्तर सिर्फ इतना
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
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