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________________ १५६ ] व्रत कथा कोष देवसिक व्रतों का वर्णन देवसिकानि कानि भवन्ति ? त्रिमुखशुद्धिद्वारावलोकनजिनपूजापात्रदानव्रतप्रतिमायोगादीनि व्रतानि भवन्ति । अर्थः-देवसिक कौन कौन व्रत हैं ? त्रिमुख शुद्धि, द्वारावलोकन, जिनपूजा, पात्रदान, प्रतिमायोग प्रादि देवसिक व्रत हैं। नन्दीश्वर व्रत कथा तीनों अष्टाह्निकानों में यह व्रत किया जाता है। सप्तमी के दिन श्रावक को स्नान करके शुद्ध वस्त्र पहन कर पूजाद्रव्यों को अपने हाथों में लेकर जिनमन्दिर को जावे, मंदिर की तीन प्रदक्षिणा लगाकर ईर्यापथ शुद्धि करके भगवान को नमस्कार करे, भगवान का पंचामृताभिषेक करके भगवान की अष्टद्रव्यों से पूजा करे, गुरु के निकट इस व्रत को लेकर एकाशन करे, ब्रह्मचर्य पूर्वक रहे, भूमिशयन करे, हरितकाय पदार्थों का त्याग करे, धर्मध्यान से समय बितावे, अष्टमी के दिन उसी प्रकार शुद्ध होकर मण्डप रचना करके मूलनायक भगवान का अभिषेक करे, नन्दीश्वर बिंब का भी अभिषेक करे, पंचमेरू आदि स्थापन कर अष्टद्रव्य से नित्यपूजा करे, उसके बाद नन्दीश्वर पूजा विधान करे। तिथि । जाप्य भोजन अष्टमी ॐ ह्रीं नंदीश्वरसंज्ञाय नमः उपवास करें १० लक्ष उपवास का फल नवमी ह्रीं अष्टमहाविभूतिसंज्ञाय नमः पारणा वस्तु १० लक्ष उपवास खावे का फल दशमी ॐ ह्रीं त्रिलोकसारसंज्ञाय नमः पानी भात खावे|६० लक्ष उपवास कांजीयाहार | का फल एकादशी ह्रीं चतुर्मुखसंज्ञाय नमः अवमोदर्य करे ५० लक्ष उपवास का फल द्वादशी ॐह्रीं पंचमहालक्षण संज्ञाय नमः एकाशन करे ५० लक्ष त्रयोदशी ॐ ह्रीं स्वर्गसोपानसंज्ञाय नमः। इमली भातखावे|४० लक्ष चतुर्दशी ॐ ह्रीं सर्व संपत्तिसंज्ञाय नमः त्रिवेली भात १ लक्ष पौरिणमा ॐ ह्रीं इंद्रध्वजसंज्ञाय नमः उपवास करे कोटी पाँच लक्ष उप. व्रतफल
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
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