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व्रत कथा कोष
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(२) मध्यम उपवास-धारने के दिन दो घड़ी दिन शेष रहे उपवास धारण कर १२ प्रहर धर्मध्यान में व्यतीत करना ।
(३) जघन्य उपवास-उपवास के दिन प्रातःकाल प्रतिज्ञा कर ८ प्रहर धर्मध्यान में व्यतीत करना।
उपवास का लक्षण कषायविषयारम्भत्यागो यत्र विधियते ।
उपवासः स विज्ञेयो शेषं लंघनकं विदुः ॥ भावार्थः - कषाय-विषय और प्रारम्भ का संकल्पपूर्वक त्याग सो उपवास है, शेष को लंघन समझना चाहिये।
विशेष :-द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव के अनुसार अपनी शक्ति देखकर उत्तम, मध्यम अथवा जघन्य जैसा उचित समझे सो करें।
उपवास के दिन भी श्री जिनेन्द्र पूजन करने की प्राज्ञा प्रातः चोत्थाय ततः कृत्वा तात्कालिकं क्रियाकलापम् ।
निवर्तयेद्यथोक्त जिनपूजा प्रासुकद्रव्यः ॥ भावार्थ :-प्रभात में ही उठकर तात्कालिक शौचनिवृत्ति आदि सर्व क्रियाओं को करके प्रासुक अर्थात् जीव रहित शुद्ध प्रष्ट द्रव्यों से पार्षग्रन्थों में कही हुई विधि के अनुसार श्री जिनेन्द्र देब का पूजन करें। स्त्रियों को भी पूजन अभिषेक व व्रताचरणादि करने का उल्लेख
कियत्काले गते कन्या प्रासाद्य जिनमंदिरम् । सपर्या महती चकुर्मनोवाक्कायशुद्धितः ॥
श्रावकव्रतसंयुक्ता बभूवुस्ताश्च कन्यकाः । ....... क्षमादिव्रतसंकीर्णाः शीलांगपरिभूषिताः ॥
___गौतम चारित्र भावार्थ :-उन तीनों कन्याओं ने श्रावक व्रत धारण करके क्षमादि दश धर्म