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________________ ८० ] व्रत कथा कोष पारा का रेखांश ८४/४० है । इन दोनों का अन्तर किया (८४/४०)-(८३०) =०/४० । इसको ४ से गुणा किया १/४०x४=६/४० मिनट, सैकाड प्रादि । ६ मिनट और ४० सैकण्ड के १६ पल ४० विपल हुए । आरा के रेखांश से पञ्चांग स्थान बनारस का रेखांश कम है, अतः वहां के तिथ्यादि मान में धन-संस्कार करना चाहिए । अतः (१०/१५) + (०/१६/४०)=१०/३१/४० अर्थात् पारा में बुधवार को अष्टमी १० घटी ३१ पल ४० विपल हुई । यदि यही तिथि मान आगरा में निकालना है तो आगरा का रेखांश ७८/१५ और बनारस का रेखांश ८३/० है, दोनों का अन्तर किया (८३/०)-(७८/१५) = ४/४५, ४/४५४४ = १९/०मिनट इसके घट्यादि बनाये । ०/४७/३० हुए। इष्ट स्थान का रेखांश पंचांग के रेखांश से अल्प है, अतः पंचांग के घटी, पलों में ऋण संस्कार किया । (१०/१५)-(०/४७/३०) =६/२७/३०; आगरा में बुधवार को अष्टमी तिथि का प्रमाण ६ घटी, २७ पल, ३० विपल हुआ । कलकत्ता में अष्टमी का प्रमाण कलकत्ता का रेखांश ८८/२४-बनारस का रेखांश ८३/० = ५/२४, ५/२४ x ४ = २१/३६ इसका घट्यात्मक मान ५३/५० हुआ । इसको बनारस के घटी, पलों में जोड़ा १०/१५ +०/५३/५० ११/८/५० तिथि का मान कलकत्ता में हुआ । अपने स्थान के तिथिमान को निकालने के लिए नीचे प्रसिद्ध-प्रसिद्ध नगरों के रेखांश दिये जा रहे है। जिससे कोई भी व्यक्ति किसी भी स्थान के पञ्चांग से अपने तिथिमान को निकाल सकता है ।
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
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