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________________ व्रत कथा कोष [७६ एक ही दिन में तीन तिथियां भी रह जाती हैं तथा कभी दो दिन तक भी एक ही तिथि रह सकती है । प्राचार्य ने ऊपर इसी तिथि-व्यवस्था को बतलाया है । व्रततिथि-निर्णय के सम्बन्ध ये शंका-समाधान अत्र संशयं करोति "पद्मदेवैः प्रायो धर्मेषु कर्मसु" इत्यत्र प्राय इत्यव्ययं कथितम्, तस्य कोऽर्थः, उच्यते देशकालादिभेदात् तिथिमानं ग्राह्यम् । अर्थ-यहां कोई शंका करता है कि पद्मदेव ने तिथि का मान छः घटी बतलाते हुए कहा है कि प्रायः धर्मकृत्यों में इसी तिथिमान को ग्रहण करना चाहिए। यहां प्रायः शब्द अव्यय है, इसका क्या अर्थ है ? क्या छः घटी से होनाधिक प्रमाण भो व्रत के लिए ग्रहण किया गया है ? प्राचार्य उत्तर देते हैं -देश-काल आदि के भेद से तिथिमान ग्रहण करना चाहिए, इस बात को दिखलाने के लिए यहां प्रायः शब्द ग्रहण किया है। विवेचन-तिथि का मान प्रत्येक स्थान में भिन्न-भिन्न होता है । अक्षांश और देशान्तर के भेद से प्रत्येक स्थान में तिथि का प्रमाण पृथक्-पृथक् होगा। पञ्चांग में जो तिथि के घटो, पल, विपल आदि लिखे रहते हैं, वे जिस स्थान का पञ्चांग होता है, वहां के होते हैं । अपने यहां के घटी, पल निकालने के लिए देशान्तर-संस्कार करना पड़ता है। इसका नियम यह है कि पञ्चांग जिस स्थान का हो उस स्थान के रेखांश के साथ अपने स्थान के रेखांश का अन्तर कर लेना चाहिए । अंशात्मक जो अन्तर हो उसे चार से गुणा करने पर मिनट, सैकण्ड रूप काल पाता है इसका घट्यात्मक काल निकालकर पञ्चांग के घटी, पलों में संस्कार कर देने से स्थानीय तिथि काल निकालकर पञ्चांग के घटी, पलों में संस्कार कर देने से स्थानीय तिथि के घटी, पल निकल प्राते हैं । संस्कार करने का नियम यह है कि पञ्चांगस्थान का रेखांश अधिक हो और अपने स्थान का रेखांश कम हो तो ऋणसंस्कार, और अपने स्थान का रेखांश अधिक तथा पञ्चांगस्थान का रेखांश कम हो तो धनसंस्कार करना चाहिए। उदाहरण- विश्वपञ्चांग में बुधवार को अष्टमी का प्रमाण १० घटी १५ पल दिया है । हमें देखना यह है कि आरा में बुधवार को अष्टमी तिथि कितनी है ? बनारस-पञ्चांग निर्माण का स्थान, का रेखांश ८३/० है और अपने स्थान
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
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