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________________ भूमिका अनुत्तरी पातिकदशांग प्रत्याख्यान प्रश्नव्याकरण विपाकसूत्र दृष्टिवाद कालिक उत्तराध्ययन -- दशाश्रुतस्कन्ध कल्प -- व्यवहार - निशोथ --महानिशीथ - ऋषिभाषित - जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति --द्वीपसागरप्रज्ञप्ति - चन्द्रप्रज्ञप्ति -- मूल्लिका विमानप्रविभक्ति - मल्लिका विमानप्रविभक्ति -- अंगचूलिका -वग्गचूलिका - विवाहचूलिका -- अरुणोपपात - वरुणोपपात -- गरुड़ोपपात -धरणोपपात - वैश्रमणोपपात - बेलन्धरोपपात - देवेन्द्रोपपात -उत्थानश्रुत - समुत्थानश्रुत नागपरिशापनिका उत्कालिक -- दशकालिक कल्पिककल्पिक --चुल्लकल्पश्रुत - मला कल्पन - औपपातिक -- राजप्रश्नीय - जीवाभिगम --प्रज्ञापना --महाप्रज्ञापना --प्रमादाप्रमाद --नन्दी -- अनुयोगद्वार - देवेन्द्रस्तव - तंदुलचारिक - चन्द्रवैध्यक -सूर्यप्रज्ञप्ति - पौरुषीमण्डल -- मण्डलप्रवेश -- विद्याचरण विनिश्चय -गणिविद्या ध्यानविभक्ति -- मरणविभक्ति -- आत्मविशोधि - वीतरागश्रुत
SR No.090540
Book TitleAgam 33 Prakirnak 10 Viratthao Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyavijay, Sagarmal Jain
PublisherAgam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
Publication Year
Total Pages53
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size789 KB
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