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________________ EAST Hola भ्रमन मरझंकारा; पिकहसशिखंजिनां । मारायाध तवृक्षेषु विराजते पदे पदे ॥ २१ ॥ गोपभामा विलोक्याशु पोनवक्षोजमंडिताः । Is स्वभामाः कोपयंत्येष स्थूलवक्षोत्रवल्लभाः ॥ २२ ॥ मकरंदरेणेव लसत्यंगकपोलकाः । अमराः सस्मिता यत्र चुंबनाश्लेपरागिणः ॥२३॥ यत्र नद्यो किराजन्ते कुटिला विभ्रमान्चिताः। दृदयाणा: सपनाच सर्वसेव्यपयोभराः ॥ २४ ॥ तटोन्नितंषधारिण्यः पक्षिशब्द । शोभा बड़ी ही मनको हरण करने वाली थी ॥ २१ ॥ वहांके ग्वालोंकी त्रियोंके स्तन स्वभावसे ही न स्थूल थे इसलिये स्थूल स्तनोंकी अभिलाषा रखने वाली अन्य स्त्रियां रात दिन इस बातका डाह कर कि हमारे ऐसे स्थूल स्तन क्यों नहीं ? क्रोधमें भभलती रहतीं थीं। वह देश सुगंधित पदार्थों की सुगंधिसे सदा महकता रहता था अतएव वहांपर भ्रमण करनेवाले देवोंकी देवांगनाओंके । शरीर और कपोल मो उस्कट सुगंधिसे सदा महकते रहते थे इसलिये देव गण वहांपर देवांगनाओं के कपोलोंके चुम्बन करने में और शरीरोंसे आलिंगन करनेमें ही सदा उत्सुक बने रहते थे ॥ २२ ॥ ॥ २३ ॥ वहांकी नदियां संभोगकालमें रसास्वादन करने वाली वेश्या सरीखी जान पड़ती थी क्योंकि जिसप्रकार बेश्या कुटिल होती हैं उनका चित्त कभी भी सीधा साधा सरल नहीं दीख पड़ता उसी प्रकार वहांकी नदियां भी कुटिल थीं उनका बहाव सीधा न होकर सदा चक्करदार होता था। जिस र प्रकार वेश्या "विभूमान्विताः" विलासप्रिय होती हैं नदियां भी अलके भूमरोंसे व्याप्त थीं । वेश्या by जिसप्रकार हृदयको गूढ़ होती हैं-कोई भी उनके मनका भाव नहीं पहिचान सकता उसप्रकार वे नदियां भी अपने हृदयभागमें अत्यंत गहरी थीं। वेश्या जिसप्रकार शरीरपर कमल धारण किये। रहती हैं उसप्रकार वे नदियां भी कमलोंसे अत्यंत शोभायमान थीं। जिसप्रकार वेश्याओंके पयो धर स्तनोंका हर एक उपभोग कर सकता है उसीप्रकार उन नदियोंके जलका भी हर एक उपयोग । ke करता था। जिसप्रकार वेश्या उन्नत नितंबोंको धारण करने वाली होती हैं उसीप्रकार वे नदियां Nउन्नत तटरूपी नितंबोंको धारण करनेवालीं थीं। वेश्या जिसप्रकार बोल चालमें बड़ी चतुर रहतीं | YSTERY SYKAVI Rewa EkeKEKEEEKEKe N I
SR No.090538
Book TitleVimalnath Puran
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages394
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Mythology
File Size14 MB
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