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विमल ज्ञान प्रबोधिनी टीका सत्तसु भएस, अट्ठसु मएस, णवसु बंभचेर - गुत्तीसु, दसविहेसु समणधम्मेसु, एयारस-विहेसु, उवासयपडिमासु, बारह-विहेसु भिक्खु-पडिमासु, तेरस-विहेसु किरिया-हाणेसु, चउदस-विहेसु भूदगामेसु, पणरस-विहेसु पमाय-ठाणेसु, सोलह-विहेसु पवयणेसु, सत्तारस-विहेसु असंजमेसु, अट्ठारस-विहेसु असंपराएसु, उणवीसाय णाहज्झाणेसु, वीसाए असमाहिट्ठाणेसु, एक्कवीसाए, सवलेसु, बावीसाए परीसहेसु, तेवीसाय सुद्दयडज्झाणेसु, चउवीसाए अरहतेसु, पणवीसाए भावणासु, पणवीसाए किरियाटाणेसु, छब्बीसाए पुढवीसु, सत्तावीसाए अणगार-गुणेसु, अट्ठावीसाए आधार-कप्पेस, एउणतीसाए पाव-सुत्त-पसंगेसु, तीसाए मोहणी- ठाणेसु, एकत्तीसाए कम्म-विवाएसु, बत्तीसाए जिणो-वएसेसु, तेतीसाए अच्चासणदाए, संखेवेण जीवाण-अच्चासणदाए, अजीवाण अच्चासणदाए, णाणस्स अच्चासणदाए, दसणस्स अच्चासणदाए, चरित्तस्स अच्चासणदाए, तवस्स अच्चासणदाए, वीरियस्स अच्चासणदाए, तं सव्वं पुव्वं दुच्चरियं गरहामि, आगामेसीएसु पच्युप्पण्णं इक्कंतं पडिक्कमामि, अणागयं पच्चक्खामि, अगररहियं, गरहामि, अणिदियं जिंदामि, अणालोचियं आलोचेमि, आराहण-मन्मुढेमि, विराहणं पडिक्कमामि, इत्य मे जो कोई राइओ ( देवसिओ) अइचारो अणाचारो तस्स मिच्छा मे दुक्कडं ।
अन्वयार्थ ( भंते ! ) हे भगवान ! ( एक्के भावे अणाचारे ) एक अनाचार रूप भाव में ( वेसु राय-दोसेसु ) दो राग-द्वेष परिणामों में ( तीसु दंडेसु ) तीन दण्डों में ( तीसु गुत्तीसु ) तीन गुप्तियों में ( तीसु गारवेसु ) नीन गारवों में ( चउसु कसाएसु ) चार कषायों में ( चउसु सण्णासु ) चार संज्ञाओं में ( पंचसु महब्बएसु ) पाँच महाव्रतों में ( पंचसु समिदीसु ) पाँच समितियों में ( छसु जीव-णिकाएसु ) छ: जीवनिकायों में, ( छस आवासएसु ) छह आवश्यकों में ( सत्तसु भएस ) सात भयों में ( अट्ठसु मएसु ) आठ मदों मे ( णवसु बंभचेर गुत्तीसु ) नौ प्रकार ब्रह्मचर्य गुप्तियों में ( दसविहेसु समण-धम्मेसु ) दस प्रकार के श्रमण धर्मों में ( एयारसविहेसु उवासय पडिमासु ) ग्यारह प्रकार की श्रावक प्रतिमाओं में, ( बारह-विहेसु भिवरनुपडिमासु ) बारह प्रकार की भिक्षुक प्रतिमाओं में ( तेरस-विहेसु-किरियाट्ठाणेसु । तेरह प्रकार के क्रिया/चारित्र स्थानों मे ( चउदसविहेसु भृदगामेसु ) चांदह