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________________ ४० विमल ज्ञान प्रबोधिनी टीका ज्ञानावरण, दर्शनावरण रूप कर्म रज से रहित होने से नीरज ! ( णिम्मल ) निर्मल-द्रव्य व भावकर्म रहित निर्मल ! ( सममण ) अर्घाक्तारण असिंप्रहारण में सदा समताधारक ऐसे सममण ! ( सुभमण ) आर्त्त-रौद्रध्यान रहित शुभमन ! ( सुसमत्य ) कायक्लेश-उपसर्ग व परीषहों के सहन करने में समर्थ होने से सुसमत्थ ! ( समजोग ) परम उपशम योग वाले होने से समजोग ! ( समभाव ) संसारवर्द्धक राग-द्वेष परिणामों से रहित होने से समभाव ! इस प्रकार जो अरहतादि हैं उन सबको नमस्कार हो। नमस्कार हो । नगरका हो । इस प्रकार यहाँ तक सामान्य अर्हतादिकों की स्तुति कर पुनः विशेष रूप से अंतिम तीर्थकर श्री महावीर स्वामी की स्तुति करते हुए लिखते हैं—( सल्लघट्टाणं ) हे संसारवर्द्धक शारीरिक, मानसिक दुख पहुंचाने वाली, बाण के समान चुभने वाली माया-मिथ्यात्व-निदान शल्य के नाशक [ सल्लघत्ताणं] हे संसारी जीवों की शल्य के विनाशक ( णिब्भय ) निर्भय ( णीराय ) राग रहित ( णिद्दोस ) निदोष-१८ दोषों से रहित ( णिम्मोह ) निर्मोह ( णिम्मम ) निर्ममत्व ( णिस्संग ) निष्परिग्रह ( णिस्सल्ल माया, मिथ्यात्व निदान शल्य रहित । निःशल्य ( माण-माया-मोस-मूरण ) मान, मायाचार और झूठ का मर्दन करने वाले ( तवप्पहावण ) हे तप प्रभावक ! ( गुणरयण ) हे ८४ लाख गुण के स्वामी गुणरत्न ! ( सील सायर ) हे १८ हजार शीलों के समुद्र सीलसायर ( अणंत ) हे अन्त रहित होने से अनन्त या अनन्त चतुष्टय धारक हे अनन्त ! ( अप्पमेय ) इन्द्रिय ज्ञान से जानने योग्य न होने से हे अप्रमेय ( महदि महावीर ) हे पूज्यनीय महावीर ! ( ववमाण ) हे वर्द्धमान (बुद्धिरिसिणो ) हे बुद्धर्षिन् ! आपको ( णमोत्थु ए णमोत्यु ए णमोत्थु ए ) आपको तीन बार नमस्कार हो, नमस्कार हो, नमस्कार हो। ___ भावार्थ-१७ प्रकार के निषिद्ध का स्थान-१. कृत्रिम-अकृत्रिम अरहंत सिद्ध प्रतिबिम्ब २. कृत्रिम-अकृत्रिम जिनालय ३. बुद्धि और ऋद्धि सम्पन्न मुनि ४. उन मुनियों के द्वारा आश्रित क्षेत्र ५. अवधि मन:पर्यय केवलज्ञानी ६. ज्ञानोत्पत्ति के प्रदेश ७. उनके द्वारा आश्रित क्षेत्र ८. निर्वाण क्षेत्र ९. उनके द्वारा आश्रित क्षेत्र १०. सम्यक्त्व गुण युक्त तपस्वी ११.
SR No.090537
Book TitleVimal Bhakti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSyadvatvati Mata
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages444
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devotion
File Size8 MB
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