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________________ ३६ विमल ज्ञान प्रबोधिनी टीका कल्याणवाद पूर्व १२. प्राणवाय पूर्व १३, क्रियाविशाल पूर्व और १४. लोकबिन्दुसार पूर्व रूप चौदह प्रकार के पूर्वो में।। पञ्चेन्द्रिय निरोध-५ : हाथ-पॉव का निरोध, मन निरोध, वचन निरोध और शिर मुण्डन इस प्रकार १० प्रकार के मुण्डन में। उत्तम क्षमा, मार्दव, आर्जव, शौच, सत्य, संयम, तप, त्याग, आकिञ्चन्य और ब्रह्मचर्य रूप दस प्रकार के श्रमण धर्म में । १. अपाय विचय २. उपाय विचय ३. विपाक विचय ४. विराग विचय ५. लोक विचय ६. भवविचय ७.जीव विचय ८. आज्ञा विचय ९. संस्थान विचय और १०. संसार विचय रूप दस प्रकार के धर्म्यध्यान में । तिर्यंच-मनुष्य और देव-इन तीन प्रकार की स्त्री का मन-वचनकाय से कृत, कारित, अनुमोदना से सेवन नहीं करना ९ प्रकार का ब्रह्मचर्य है। इस प्रकार नव प्रकार के ब्रह्मचर्य का पूर्ण पालन करना रूप ९ प्रकार की ब्रह्मचर्य गुप्ति में। हास्य, रति, अति, शोक, भय, जुगुप्सा, पुरुषवेद, स्त्रीवेद और नपुंसक वेद इस प्रकार नौ प्रकार की नो कषायों में। अनन्तानुबंधी क्रोध, मान, माया, लोभ, अप्रत्याख्यान क्रोध, मान, माया, लोभ, प्रत्याख्यान क्रोध, मान, माया, लोम और संज्वलन क्रोध, मान, माया, लोभ ये १६ कषायों में। ज्ञानावरण, दर्शनावरण, वेदनीय, मोहनीय, आयु, नाम, गोत्र और अन्तराय आठ कर्मों में। पाँच समिति और तीन गुप्ति रूप आठ प्रकार की प्रवचन मातृका में - मन शुद्धि, वचनशुद्धि, कायशुद्धि, भिक्षाशुद्धि, ईर्यापथशुद्धि, उत्सर्ग शुद्धि, शयनाशनशुद्धि और विनयशुद्धि इस प्रकार आठ प्रकार की शुद्धि में । -इहलोकभय, परलोकभय, मरणभय, वेदनाभय, अगुप्तिमय, अरक्षाभय और आकस्मिकभय इस प्रकार सात भयों में ।
SR No.090537
Book TitleVimal Bhakti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSyadvatvati Mata
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages444
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devotion
File Size8 MB
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