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विमल ज्ञान प्रबोधिनी टीका चरिदिया जीवा असंखेज्जा-संखेज्जा, दंसमसय मक्खि-पयंगकीड-अमर-महुयर, गोमच्छियाइया, एदेसि उद्दावणं परिदावणं विराहणं उवघादो कदो वा, कारिदो वा, कीरंतो वा, समणु-मण्णिदो तस्स मिच्छा मे दुक्कडं।
अन्वयार्थ ( असंखेज्जासंखेज्जा ) असंख्यातासख्यात ( दसमसयमक्खि-पयंग-कीड-भ्रमर-महुयर-गोमच्छियाइया ) डांस-मच्छर-मक्खी-पतंगाकीड़ा-भौरा-मधुमक्खी गोमक्षिका आदि ( चउरिदिया जीवा ) चतुरिन्द्रिय जीव ( एदेसिं) इनका ( उद्दावणं) उत्तापण ( परिदावणं) परितापन ( विराहणं ) विराधन ( उवघादो ) उपघात ( कदो ) मैंने किया हो ( वा ) अथवा ( कारिदो ) कराया हो (वा) अथवा ( कीरंतो समणमण्णिदो ) करते हुए अनुमोदना की हो ( तस्स ) तत्सम्बन्धी ( दुक्कडं ) दुष्कृत/ खोटे कार्य ( मे ) मेरे (मिच्छा ) मिथ्या होवें।
भावार्थ-हे भगवन् ! मैंने डांस-मच्छर-मक्खी-आदि चतुरिन्द्रिय जीवों की विराधना, उत्तापन, परिदावण किया हो, कराया हो या अनुमोदना की हो तो मेरे दुष्कार्य मिथ्या हों।
पंचिंदिया जीवा असंखेज्मा-संखेज्जा, अंडाइया, पोदाइया, जराइया, रसाइया, संसेदिमा, सम्मुच्छिमा, उन्भेदिमा, उववादिमा, अविचउरासीदिजोणि-पमुह-सद-सहस्सेसु, एदेसिं उद्दावणं परिदादणं विराहणं उबघादो कदो वा, कारिदो वा, कीरंतो वा, समणुमण्णिदो तस्स मिच्छा मे दुक्कडं। ___ अन्वयार्थ-(असंखेज्जासंखेज्जा ) असंख्यातासंख्यात ( पंचिंदिया जीवा ) पंचेन्द्रिय जीव ( अंडाइया) अण्डज ( पोदाइया) पोतज ( जराइया ) जरायुज ( रसाइया ) रस से उत्पन्न होने वाले ( संसेदिमा ) संस्वेदिम ( समुच्छिमा ) समूर्छन ( उन्भेदिया ) उद्रेदिय ( उववादिमा ) उपपाद जन्म से उत्पन्न देव-नारकी ( अवि ) और भी ( चउरासीदिजोणि पमुहसदसहस्सेसु ) चौरासी लाख योनियों में प्रमुख पञ्चेन्द्रिय जीव ( एदेसिं ) इनका ( उद्दावणं ) उत्तापन ( परिदावणं ) परितापन ( विराहणं ) विराधन ( उवघादो ) उपधात ( कदो ) मैंने किया हो ( वा ) अथवा