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विमल ज्ञान प्रबोधिनी टीका
१७९ चउहसीए, पुण्ण-मासीए, पण्णरस-दिवसाणं, पण्णरस-राइणं, ( चउहंमासाणं, अट्ठणं- पक्खाणं, वीसुत्तरसय-दिवसाणं, वीसुत्तरसय-राइणं) (बारसह-मासाणं, चवीसह-पक्खाणं, तिण्डिं-छावडि-सय-दिवसाणं, तिहिं-छावट्ठि-सय-राइणं) ( पंचवारिसादो) परदो, अम्भतंरदो वा, दोण्हं-अट्ट- रूद्द-संकिलेस-परिणामाणं, तिह-अप्पसत्य-संकिलेसपरिणामाणं, तिह-दंडाणं, तिण्हं-लेस्साणं, तिण्हं-गुत्तीणं, तिण्हंगारवाणं, तिह-सल्लाणं, चउण्हं-सण्णाणं, चवण्हं-कसायाणं, चउण्हंउवसग्गाणं, पंचण्हं महब्बयाणं पंचण्हं इंदियाणं, पंचण्हं-समिदीणं, पंचण्हंचरित्ताणं, छण्हं-आवासयाणं, सत्तण्हं- भयाणं, सत्त-विहसंसाराणं, अढण्हंमयाणं, अट्टण्ह-सुद्धीणं, अट्टण्हं-कम्माणं, अट्ठण्हं-पवयण-माउयाणं, णवण्हं-बंभचेर-गुत्तीणं, णवण्ह-जो-कसायाणं, दस-विह- मुंडाणं, दसविह-समण-धम्माणं, दसविह-धम्मज्झाणाणं, बारसह संजमाणं, बारसण्हं तवाणं, बारसहं अंगाणं, तेरसण्हं किरियाणं, चउदसणहं पुष्वाण्हं, पण्णरसण्हं पमायाणं, सोलसण्हं कसायाणं बासाए परीसहेसु, पणवीसाए किरियासु, पणवीसाए भावणासु, अट्ठारस सील-सहस्सेसु, चउरासीदिगुण-सय-सहस्सेसु, मूलगुणेसु, उत्तरगुणेसु, अदिक्कमो, वदिक्कमो, अइचारो, अणाचारो, आभोगो, अणामोगो, तस्स मंते ! अइचारं पडिक्कमामि, पडिस्कंत, कदो वा, कारिदोवा, कीरंतो वा, समणुमण्णिद, तस्स मंते ! अइचारं पडिक्कमामि, जिंदामि, गरहामि, अप्पाणं बोस्सरामि, जाव अरहंताणं, भयवंताणं, णमोक्कारं करेमि, यज्जुवासं करेमि, ताव कालं पावकम्मं दुच्चरियं वोस्सरामि ।
____ अन्वयार्थ--( अह ) अब ( पडिवदाए ) प्रतिपदा में ( विदियाए ) द्वितीया में ( तदियाए ) तृतीया में ( चउत्थीए ) चतुर्थी में ( पंचमीए ) पंचमी में ( छट्ठमीए ) षष्ठी में ( सत्तमौए ) सप्तमी में ( अट्ठमीए ) अष्टमी में ( णवमीए ) नवमी में ( दसमीए ) दशमी में ( एयारसीए ) एकादशी में : बारसीए ) द्वादशी में ( तेरसीए ) त्रयोदशी में ( चउद्दसीए) चतुर्दशी में ( पुण्णमासीए ) पूर्णमासी में ( पण्णरस-दिवसाणं ) पन्द्रह दिनों में ( पण्णरस-सइणं ) पन्द्रह रात्रियों में [ चउण्हं-मासाणं, अट्टण्हं पक्खाणं, वीसुत्तरसय-दिवसाणं, वीसुत्तरसय-राइणं ] चार माह में, आठ पक्षों में,