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________________ विमल ज्ञान प्रबोधिनी टीका १६७ परिग्रह हैं ( अवि वालग्ग-कोडि मित्तं पि ) इनमें बाल के अग्र भाग प्रमाण भी ( असमण पाउग्गं परिग्गहं गिहिज्ज णेव सयं ) श्रमण के अयोग्य परिग्रह को स्वयं ग्रहण न करे ( णो अण्णेहिं असमण-पाउग्गं परिंग्गरं गेहाविज्ज ) न श्रमण के अयोग्य परिग्रह को दूसरों से ग्रहण करावे, ( णो गोहिं आए मार्ग पर पिज्जन वि समणुमणिज्ज ) न ही श्रमण के अयोग्य परिग्रह को ग्रहण करने वालों की अनुमोदना करें ( मंते ! ) हे भगवन् ! ( तस्स ) उस परिग्रह त्याग महाव्रत में जो ( अहिचारं ) अतिचार लगा हो ( पडिक्कमामि ) मैं उसका प्रतिक्रमण करता हूँ ( जिंदामि ) मैं निंदा करता हूँ ( गरहामि ) गर्दा करता हूँ ( अप्पाणं वोस्सरामि ) आत्मा से उन दोषों का त्याग करता हूँ। भावार्थ----अब चतुर्थ ब्रह्मचर्य महाव्रत के बाद पञ्चम परिग्रह त्याग महाव्रत में हे भगवन् ! सब बाह्य अभ्यन्तर दोनों प्रकार के परिग्रह का त्रिविध से, मन से, वचन से, काय से, मैं त्याग करता हूँ। वह परिग्रह दो प्रकार का है-बाह्य और अभ्यन्तर 1 उसमें अभ्यन्तर परिग्रह गाथार्थ-मिथ्यात्व १, वेद ३, उसी प्रकार ही हास्य, रति, अरति, शोक, भय और जुगुप्सा, ६. और क्रोध, मान, माया लोभ ४ कषाय, इस चौदह प्रकार अभ्यंतर परिग्रह है। तथा बाह्य परिग्रह । उसका चाँदी, सुवर्ण, धन, गो आदि और ब्रीही आदि धान्य, धान्य की उत्पत्ति का स्थान खेत, खलिहान, वस्तु, प्रवस्तु, कोश अर्थात् ( भांडागार ) कुठार, नगर, अन्तःपुर, बल-हाथी, घोड़ा, रथ और पदाति ( पैदल ) चार प्रकार सैन्यबल, हाथी, घोड़ा आदि वाहन, शकट याने बैलगाड़ी, यान याने पालकी, जपा-माला, जुगं-जुआँ, गड्डिय-रथ, स्यन्दन-शिविका दासी, दास, गाय, भैंस, मणि, मौक्तिक, शंख, सीप, प्रवाल, मणि के बर्तन, सोने के बर्तन, चाँदी के बर्तन, काँसा के बर्तन लोहे के बर्तन या ताम्बे के बर्तन, रेशमी वस्त्र, कपास के वस्त्र, रोमज-ऊनी वस, छाल के वस्त्र, चर्म के वस्त्र, थोड़ा या बहुत, सूक्षम या स्थूल, सचित्त या अचित्त, यहाँ स्थित या बाहिर स्थित ये सब बाह्य परिग्रह हैं। मेष के बाल के अग्र भाग प्रमाण भी श्रमण के अयोग्य ज्ञानोपकरण शास्त्र आदि और संयमोपकरण पीछी आदि को छोड़कर अन्य परिग्रह को
SR No.090537
Book TitleVimal Bhakti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSyadvatvati Mata
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages444
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devotion
File Size8 MB
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