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विमल ज्ञान प्रबोधिनी टीका
९९ दिन में ( पण्णरसह दिवसाणं ) १५ दिनों ( पण्णरसहं राईणं ) १५ रात्रि के ( अब्भंतराओ ) भीतर ( णाणायारो ) ज्ञानाचार ( दंसणायारो ) दर्शनाचार ( चरितायारो) चरित्राचार ( तवायारो ) तपाचार ( वीरियायारो ) वीर्याचार ( इदि ) इस प्रकार ( पंचविहो आयारो) पाँच प्रकार के आचार में जो (च) और अतिचार लगा हो तत्संबंधी ( आलोचेउं ) आलोचना करने की ( इच्छामि ) मैं इच्छा करता हूँ ।
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[ इच्छामि भंते ! चउमासियम्मि आलोचेउं चउण्हं मासाणं, अठ्ठण्हं पक्खाणं, वीसुत्तर- सयदिवसाणं, वीसुत्तर सय राहणं, अब्भंतरदो, पंचविहो आयारो, णाणायारो दंसणायारो, तवायारो, वीरियायारो चरित्तायारो चेदि ।। ३।। ]
अर्थ - ( भंते ) हे भगवन् ! ( चउमासयम्मि ) चातुर्मास में ( चडण्हं मासाणं ) चार माह में (अट्टहं ) आठ पहों में तिररूयदिवसा ) १२० दिनों के ( श्रीसुत्तरस्यराइणं ) एक सौ बीस रात्रियों के ( अब्भंतराओ ) भीतर ( णाणायारो ) ज्ञानाचार (दसणायारो ) दर्शनाचार ( तवायारो) तपाचार ( चरितायारो ) चारित्राचार (च ) और ( वीरियायारो) वीर्याचार ( इदि ) इस प्रकार ( पंचविहोआयारो) पाँच प्रकार के आचार में अतिचार लगा हो तत्संबंधी ( आलोचेउं ) आलोचना करने की ( इच्छामि ) मैं इच्छा करता हूँ ।
[ इच्छामि भंते! संवच्छरियम्मि आलोचेउं, बारसहं मासाणं, चवीसहं पक्खाणं, तिन्हं छावडिसय- दिवसाणं, तिन्हं छावट्ठि-सयराइणं अब्भंतरदो, पंचविहो आयारो, णाणायारो, दंसणायारो, तवायारो, वीरियायारो, चरित्तायारो चेदि । । ४ । । ]
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अन्वयार्थ - ( भंते ) हे भगवन् ! ( संवच्छरियम्मि ) एक वर्ष में ( वारसण्हं मासाणं ) बारह मास में ( चडवीसहं पक्खाणं ) चौवीस पक्ष में (तिहं छावसियदिवसाणं ) तीन सौ छ्यासठ दिन में ( तिन्हं छावसियराइणं ) तीन सौ छयासठ रात्रि के ( अब्भंतराओ ) भीतर ( णाणायारो ) ज्ञानाचार ( दंसणायारो ) दर्शनाचार ( चारितायारो ) चारित्राचार ( तवायारो) तपाचार ( च ) और ( वीरियायारो ) वीर्याचार ( पंचविहो