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95905PSP595915 विद्यानुशासन 26595952605
सिंधूत्व हरिताला स्नुकः पतः क्षारैः सुपेषितैः आलिप्पोद्वर्त्तव्येद्रात्रं शेम नाशोयमुत्तमं
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गुंजा रुष्करयोः सप्तदिनं गोमूत्र भावितं चूर्णोर्क शीर संयुक्तो लेपोद्रोमविनाशनः
॥ १४९ ॥ गुंजा (चोटली) अरुष्कर (भिलावे) के चूर्ण को सात दिन गोमूत्र में भावना देकर आक के मिलाकर लेप करने से बाल उड़ जाते हैं।
दूध से
गुंजा मनः शिाल शंख चूर्णे कल्की कृतैः कृतं अंगेषु लेपनं रोम्नां सर्वेषां स्याद्विलेपनं
॥ १५० ॥
गुंजा (चोटली ) मेनखिल शंख के चूर्ण के कल्क का अंगो में लेप करने से सब स्थानों के बाल उड़ जाते हैं।
लसुने नापि तालेनाप्यपामार्ग फलैरपि, नल क्षारयुतै रोम्रां प्रनाशेस्याद्विलेपनं
॥ १५१ ॥
लहसुन हरताल अपामार्ग (चिरचिटे) के फल और नल क्षार (नमक) के लेप से बाल साफ हो जाते हैं।
निष्क प्रमाण मेर्तन मंजिष्टा शंख भस्म कुनटीताल:, चूर्णः पुनरष्ट गुणेनिल्लोंमी
करणमुद्दिष्ट
॥ १५२ ॥
निष्क (४ मासे) के बराबर मंजिष्टा (मंजीट) शंख की भस्म कुन्टी (में नीसल) हरताल का चूर्ण बालों को साफ करने में आठ गुनी शक्ति रखता है।
आरनालेन हयपुष्पी चूर्णः पीतोथवा कृतः 'जंबु चर्मत्व वार्षेण स्नातं दौगंध्य हत्तनोः
॥ १५३ ॥
आरनाल और ह्यपुष्पी के चूर्ण को पीने और जामून की छाल तथा आर्ष (कोच) के साथ स्नान करने से शरीर की दुर्गंध दूर हो जाती है।
कांतोशीर शिरीष त्वक लौद्र चूर्णेर्भव द्वपुः, उद्वर्तितं गत स्वेद मलं लुप्तं त्वगामय
।। १५४ ।।
कांता (सफेद) दोब) उशीर (खस) सिरस की छाल और लोध के चूर्ण का शरीर में लेप करने से पसीना तथा रोग दूर होकर शरीर सुंगधित हो जाता है।
වටවටටවට මං වටවට වවගවත්