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________________ やりですですわ 505051 विधानुशासन SPSPSP59595 खारी नमक और कल्क किये हुए सेल तरु (ल्हेसप) की गुठली की भींगी का लेप कांसी के बने हुये घड़े पर करके, धूप में तपाकर, तेल निकाल कर सूँघने से और मालिश करने से सब पलित दूर होकर आँख कान नाक सिर मुख और दांतों के रोग नष्ट होते हैं। लोग लोह वरा भंगी लिंते त्सौवीर कल्कितैः, पालितान्य चिरेण स्यात् छवि स्तेषां जिताजनां ।। ७९ ।। लोध लोह (अगर) वरा (त्रिफला) भृंग (भांगरा) और सौवीर (अंजन) के क्लक को आँखों में आंजने से शरीर का सिकुड़ना दूर हो जाता है। . शरवस्था चिर दग्धस्य सीसं चूर्णेन मिश्रितं, पृष्टं कृष्टिं करोत्याशु पलितानी विलेपनात् ॥ ८० ॥ बहुत दिनों के जले हुए शंख को सीस (सोषक) के चूर्ण में मिलाकर घिसने से और लेप करने से शरीर की खाल की सिकुड़न दूर होती है तथा बाल स्याह होते हैं। पिष्टै भंग वरा लोह करवीरा सनैर्महुः, गुडेन धूपितै मू िलेपः पलितरं जनं ॥ ८१ ॥ भृंग (भांगरा) वरा (त्रिफला) लोह (अगर) कनेर और आसन ( जीबापोता) और गुड़ को पीसकर धूप देने से तथा सिर पर मलने से बालों का पकना दूर होता है, अर्थात बाल रंग जाते हैं। वरा चूता स्थि नलिनी पंकनीली मधुव्रतैः वारी पिष्टै विलेपन कृष्ण स्यु पलितान्यलं ॥ ८२ ॥ वरा (त्रिफला ) धूतारिथ (आम की गुठली ) नलिनी पंक (कमल की पराग) मधुव्रतै (अनार) और खारी नमक को पीस कर लेप करने से पके हुए बाल काले हो जाते हैं। क्षारे वा दाँता प्रातः वार्या सतीक्ष्ण या लिप्ता: सायंवरा काथ क्षलिता यांति नीलतां ॥ ८३ ॥ प्रातः काल खारी नमक से धोने तथा खारी और तीक्ष्ण काली मिरच का लेप करने से तथा सांयकाल के समय वरा (त्रिफला) के क्वाथ से धोने से बाल काले हो जाते हैं। पुष्पै सायोमलैः पिष्टै जष्ना वा ककुमस्य वा, पलितानां तनिर्लिप्तो भवेद्भमर विभ्रमः 1138 11 e5959595955९८१ 05055555542 ちこちにちわちらですやす
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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