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S50505125501505 विधानुशासन 7581521STRISTOISION
तैलं भंग रसे गुंजा बीज फल्केन साधितं, केश्यं पुष्कर सूक्ष्मैला रूजा मांसी रजोद्युतः
॥७४|| भांगरे के रस में सिद्ध किये हुए गुजा (चोटली) के बीज में कल्क में सिद्ध किये हुए तेल में पुष्कर (दसाल छोटी इनानदी
सीनिला सेप करने से बाल बढ़ते हैं।
तैलं गुंजा फला तुल्य तिल चूर्णेद्रजी कृतान,
आत्तं दत्तं जसोः कुर्यात् केशान स्निग्ध धनासितान् ॥७५ ।।। गुजा (चोटली) के फल के बराबर चूर्ण किये हुए तिलों से निकाले हुए तैल को लगाने से और सूंघने से बाल चिकने घने और काले होते हैं।
सिद्धकेकी शिरवा कल्के तैलं मधु कदंबुनि, सप्ताहं नाशयो ईतं नाशयेत्पलितोदा
॥ ७६॥ मयूर शिखा (मोरपंखी बूटी) का कल्क मधु कृत अबु (अनार दाना का रस) में सिद्ध किया हुआ तेल को सूंघने और लगाने से बालों की सफेदी सात दिन में नष्ट जाती है।
करंजास्थि रजो मिश्र कृष्ण दुग्धात्तत क्रजं: भामु तप्तन्नशो ईतंकाल पलित हरेत
॥७६॥ करंज की गुठली के चूर्ण को काली गाय के दूध की छाछ (मट्टे) को सूरज की धूप में तपकर सूंघने और लगाने से बालों की सफेदी नष्ट हो जाती है।
गुजा हरीत की पेशा निवांक्षा स्थि समुद्भवं तैलं,
पृथक पृथक नस्यात पलितयं पयोमुजः ॥७७॥ गुंजा (चोटली) हरीतकी (हरडे) पेशा (जटामांसी ) निवांक्षी (निंबोली की गुठली) के तेल को अलग अलग नस्य लेने से पयोभुज (कुचो का बढ़ना बन्द हो जाता है) अर्थात् सरक्त हो जाते हैं, तशा सफेद बाल नष्ट हो जाते हैं।
स्वारि कल्कित कांश्य लिप्त जठरं बुधा तपो तापितान, बीजान् सेल तरोबिनर्गत वतास्नेहेन नस्यात् नणां ॥७८॥
अभ्यंगा च्चभवेत् समस्तम् पलित प्रध्वसनं गलिक,
ग्राण श्रोत शिरो मुरव द्विज भवान स्टारन्या रुजः ॥७॥ SHETOISSISTRICTSCIECE९८० PASCIETRISTRISTRICISCISS