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विधानुशासन 95957
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दंपत्ति ( स्त्री-पुरूष) के नाम के वर्ण मात्राओं को एक करके तीन का भाग देवे शून्य तथा एक के अंक बचने पर पुरुष मृत्यु तथा दो के अंक के शेष रहने से स्त्री की मृत्यु कहे।
दंतो बिंदु युतो देवी भेद: पूर्विमलः पुरः, पृथु विभुं युती हूं द्वौ व मंत्रोयं विवश्वतः
॥ ६७ ॥
बिन्दु सहित दंत (घं) देवी (च) मेद (य) पूर्ति () () गुरू (अं) पृथु ऐ हूं और यह सूर्य का मंत्र है।
श्री वसुले लेखा ठः ठः यह इसके अंग हैं।
सूर्याभिमुखो भूत्याजपश्नमुं को विदो मंत्र, पुरुषं स्त्रियं परं वनष्टं द्रव्यं प्रति लभेत
श्री वसुरेरये भूस्वाहेतित्येषा विद्या तथा भवेत् जप्ता, इष्टा कर्षणं कृत्यन्नित्य जप पौष्टिकं कुरुते
॥ ६९ ॥
इस मंत्र को सूर्य की तरफ मुँह करके जपता हुआ मंत्री खोये हुए पुरुष स्त्री या द्रव्य को फिर पा लेता है।
श्री वसुरेखे भूस्वाहा इस मंत्र का जप इष्ट पुरुष आदि का आकर्षण तथा पुष्टि करता है ।
यष्टि इंदीवर गोक्षीर द्वयभंग तिलैः कृत लेषी, सित धन स्निग्ध कुटिलान कुरुते कचान
॥ ६८ ॥
॥ ७० ॥
यष्टि (मुलैठी) इंदीवर (कमल) गोक्षीर (गाय का दूध) दूब भांगरा और तिलों का लेप बालों को काला घने चिकने और घूंघरवाले करता है।
यष्टि तिलोत्पलो शीर शारि व नाग कैशरै:, लेपः साजापयोभिः स्यात केशानां शीर्य तांहितः
॥ ७१ ॥
यष्टि (मुलेठी) तिल उत्पल (कमल) उशीर (खस) शारिबा नागकेशर का लेप बकरी के दूध से करने से टूटते हुए बालों के लिए हितरूप है।
चूर्णे महिषी स्तन भव भावित हिंताल बाल कुसुम कानां, जंबु वंदराज र जनी रजोयुल स्तैलपितः केशभा:
॥ ७२ ॥
हिंताल (हिंतालु) बाल कुसुम (नारियल के फूल का गुच्छा) जामुन बंदारज (बंदा की चूर्ण) रजनी (हल्दी) के चूर्ण को भैस के दूध में भावना देकर तेल में मिलाकर लेप करने से केश अधिक होते हैं ।
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