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P5PSPSP5951915 विद्यानुशासन 959595959595
मंत्री सितवार (शुक्रवार) और मघा नक्षत्र के योग में पहले के सभी धान्यों का संग्रह करे तो वह धान्य नहीं बींधता है।
प्रणवस्य मुखं मेघा नित्यं से नश्च मध्यम विविक्तः, स विभुः स्वौ चहूं जीयो न्य ॥ ५५ ॥ (ई)(ए) खेन मध्य (ल) विविक्त (म) विभु (ऐ) खौं (हुं) जीव
फलायुत :
आदि में प्रणव (ॐ)
(सौ) और अन्यत कला (ह्रीं) युक्त
एतेन जपं पंच विशंति सहश्र जप साधितेन मंत्रेण, जप्तान वायव्येन बीहि नारवुन्न भक्षयति
॥ ५६ ॥
इस मंत्र को पचीस हजार जप करने से और वायव्य कोण की तरफ जप करने से चूहे धान को कभी नहीं खाते हैं।
वद्धस्य नालिकेर प्रभृते स्तजप्त रक्त सूत्रेण, वृक्षस्य मूषिकाद्याः फल पुष्पादिन्न वादंति
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नारियल पर इस मंत्र को पढ़कर सिद्ध करके लाल धागे में लपेटकर पेड़ में बांध देने से चूहे आदि उसके फल और फूलों को नहीं खाते हैं।
मंत्रितमेतेन धृतं कपिलायागो सवर्ण वत्सायाः, चरणम्यक्तं गमयेदति दूरं मंक्ष्वनायासात्
॥ ५८ ॥
इस मंत्र से मंत्रित उसी की बछड़े वाली कपिला गाय के घृत को पैरों में लगाकर बिना परिश्रम के चाहे जितनी दूर चला जावे ॥
ॐ रक्ष रक्ष गज कर्णि विधे विधामारिणी चंद्रिणी चंद्र मुवि ठःठः ॥ द्विसहस्र जाप्य सिद्धं ज्येष्ठा मंत्रं वरस्य कन्याया,
अपि नामांतरितम् मुं ज्येष्ठाया स्तार के पत्रे
॥ ५९ ॥
वर वा ज्येष्टा तथा कन्या के नाम को बीच में डाल कर तारक इंद्रायण के पत्ते पर बैठकर इस ज्येष्ठा मंत्र को दो हजार जप से सिद्ध करे ।
स्वासीन तस्मिन् ज्येष्ठा माराध्य जपतु मंत्र तं द्वादश सहश्र मेकेनान्हायं लभते तां कन्यां
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