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5100510052050525 विद्यानुशासन 951005105215215015
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देवदत
अमनो दवे
हसः
अर्थात पौष्टिकं कर्म प्रवक्ष्यामि यथागम, शांत्यादौ पयिकं ज्ञान यत्प्रारंभ प्रयोजनं
॥१॥ अब शास्त्र के अनुसार पौष्टिक कर्म का वर्णन किया जाएगा उसके प्रारंभिकप्रयोजन के लिए शांति आदि का ज्ञान बड़ा उपयोगी होता है |
इह लक्ष्मीनावासो भोजन भूकन्यकादि लाभाश्च, अवयव संस्कार रसायनोडु वृष्याश्च निर्दिश्या: ॥२॥
E 3೯೪ ಸಣಣರಿಗಳಿಂದ