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सूत्रेण वहि वैष्टियं सिक्थक परिवेष्टितं वहि:, कृत्वा गंधाक्षत कुसुमाद्यैः प्रार्च्य विन्यसेत् ॥
इस यंत्र को सिक्थक (मोम) में लपेट कर बाहर ध आगे से लपेट कर फिर इसको चंदन पुष्प आदि से पूजित नए घड़े में छींके से घड़े मे रख दें।
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הגן:
की प्रांनो ठ
फ्री फ्री उ
स्वर गर्भ टांत संपुट मध्य गतं नाम खंड राशि वेष्टयं. टांतेन च भांतेन च वेष्टयं हंसः पदं वलयं
॥ ३०१ ॥
नाम को क्रम से १६ स्वरों टांत (ठ) के संपुट और अर्द्ध चंद्र से वेष्टित करके टांत (ठ) और भांत (म) से वेष्टित करके बाहर चारों तरफ हंस पद का वलय बनाए । CSPJPJPJESR505|‹‹‹ PS0S05E
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