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________________ S510150158525105 विधानुशासम SASICISESSIO5255015 देवदत्त नाम को स ह व और ग्लौं के संपुट में लिखकर चंद्रमंडल बनाए उसके बाहर दिशाओं में मातया विदिशा कोणे में रांत (ल) अदार से वेष्टित करे, बाहर सोलह दल का कमल बनाकर उनमें स्वरों को लिखे।उसके बाहर विदिशा में क्ष्मा और दिशाओं में ललिख्ने, उसके बाहर भूमंडल (पृथ्वी मंडल) लिखे। यह सर्व रक्षा यंत्र है इसको सुगंधित द्रव्यो से लिखकर धारण करने से रोग पीड़ा अपमृत्यु ग्रह पिशाच और भूत के डर को नष्ट करता है। क्मा शांति पुष्टि दायक यंत्र साध्यं म भः पुरस्थांत वं कारस्योदरेलिरवेत रोचना कुंकमै भूर्जे शांतिः पुष्टि श जायते ॥ साध्य के नाम को अंमपुर (जल मंडल) के बीच में यकार के अन्दर गोरोचन कुंकुम आदि से भोजपत्र पर लिखकर धारण करने से शांति और पुष्टि होती है। ಇದNಂಥMಡG, R&R Bಳಬಣಣಠಣದ
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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