SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 967
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 9595959555 विद्यानुशासन 9595959SPPS मार्चितं वानिशेष ज्वर भूत विषादि जित ।। २९१ ।। पहले साध्य के नाम को लिखकर परम (२) को बाहर लिखे फिर विविक्त (भ) आठ पत्तो में लिखकर परम से परम (र) से वेष्टित करे। फिर क से लगाकर ह तक के तेतीस अक्षरों को वेष्टित करके इसके बाहर वरुण मंडल (जल मंडल) लिखे। इस संजीवन यंत्र को भोजपत्र पर लिखकर भुजा में धारण करने से तथा पूजन करने से सपूर्ण ज्वर भूत और विष आदि जीत जाते है। 요 सेज छ by E 2 ग a. 2 2 2 2 र र रव र भ h 地 762 नाम र भ 甘 र भ र भ च सर्वरक्षा यंत्र नामा वेष्टय सकारं सांत लपरं ग्लौं युग्मं पूर्णेदुभिः दिक्षुक्ष्माक्षर मस्तकै परिवृतं कोणस्थ रांत वृत वाह्ये षोड़श पद्म पत्र म थ तत्पत्रेषु देयाः स्वराः कोण क्ष्माक्षर दिग्गेतंद्र सहितं वाह्ये च भू मंडलं एतत्सुसर्वरक्षा यंत्र लिखितं सुगंधिभि र्द्रव्यै: अपहरति रोग पीडा मपमृत्यु ग्रह पिशाच भूत मां 25252525252525| |S252525252525
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy