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SSIOS5I055DISCISO विधानुशासन OSCADIOTSIRIDICISIOTI
कं गुप्रियंगु तिलातसिशालि कुलथ्याढकी शण श्यामाकाः
यव माष द्वय राजि वैष्ण गोधूम शिंवकौरवमुद्गाः॥३३॥ कंगु (कांगनी) प्रियंगु (सुपारी) तिल आलसी, शालि (चावल) कुलत्थी आठ की (अरहर) शण के. बीच श्यामक (सामाधन) जौं उड़द मूंग सफेद सरसों पीली सरसों विणव) यांस के चावल (गेहूं) शिबि) राजशिबी) कौद्रव (कोदों) और मूंग।
अष्टा दशधान्यानीटो एत्तद्वेदिभिः प्रभाष्टाते क्षीरं पतं गुडं च ग्रोच्यते त्रिमधुराणिति
॥३४॥ यह अठारह तरह के धान्य कहलाते हैं और दूध, घी, और गुड़ त्रिमधुर कहलाता है।
श्री राज्याप्तिः कपूर करवीर कुसुम् होमात्
स्टात भूमिकंदबक होमाम्नाग कुमारी भवेदश्या ॥३५॥ नारियल, कपूर, करवीर, पुष्प, भूमि, पुष्प और कंदब पुष्प के होम से नाग कुमारी वश में होती
पत मिश्र चूतफल निकर होमेन भवति खेचरी
वश्या वट टाक्षिणीच होमाद भवति वशा ब्रह्म पुष्पाणां ॥३६॥ आम तो घी में मिलाकर होम करने से विद्याधरी वश में होती है और ब्रह्म पुष्पो (पलाश के फूलों) के होम से यट यक्षिणी वश में होती है।
गह घूम निंब राजी लवणान्वित काक पक्षकत होमैः
एकोदर जातानामपि भवति परस्पर द्वेषं ॥३७॥ गृह धूम नीम के पुष्प राई नमक और कौवे की पांख के होम से एक पेट से पैदा हुये सगे भाइयों में भी विरोध हो जाता है।
प्रेतवन शाल्टा मिश्रित विभितकांगारि सदन धूमानां
होमेन भवति मरणं सप्ताहाद्वैरि लोकस्य ॥३८॥ प्रेतयन (श्मशान) के चावलों की विभितक (बहेडा) के अंगारों में होम करने से बैरी एक सप्ताह मे मरण को प्राप्त होता है।
अशुभै होम कुर्यात् कुद्धमणा, क्षुद्रकर्म सर्वमपि
कर्म शुभं विदधीतः प्रसन्न चितः शुभैद्रयैः ॥३९॥ CSIRISTOISIOTSIDEICISISTA ९० PIERIDDITICISIONSORSCIEN