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________________ ಉಪಥಗಣಗಳT RKREIRA NEWS दूध वाले वृक्षों का जो काष्ट पवित्र और सूखा हो वह सभी होम कर्मों में लिया जा सकता है। सच गोपुच्छ समानास्यादि तरो नाशिका सद्दशग्रः उचिति रिक्तो हस्त स्थौल्पंतुरवंडगुलानि तयोः ॥ २७॥ यह गाय की पूँछ की तरह अथवा नाशिका तरह हो लकडी हो तथा होम करने याला खाली हाथ या कम उंगुली वाला खंड उगुंली याला न हो । मक सयौ चांदनौ मुख्यो पैपलौदल संभवे तद्भाये पलाशस्य दलं वापिष्पलस्य वा ॥२८॥ सृक सृया चंदन का श्रेष्ठ होता है उसके अभाव में पीपल की लकड़ी का हो समिधायें भी सफेद व लाल चंदन की मुख्य होती हैं, उसके मिलने पर शमी की और लकडी के न मिलने पर ठाक या पीपल के पत्तों से ही होम करें। प्रस्थः क्षीरस्य मानं स्याद् पतस्य चतथा भवेत् होम द्रव्य विमिश्रस्ट मानं प्रस्थ द्वयं मतं ॥२९॥ होम करने में एक सेर घृत और अष्टांग धूप आदि से मिला हुवा द्रव्य दो सेर लेना चाहिये। शशि शद के लवंग दुहोमेन शांतिकं पुष्टिं करवीर पुष्प हवनात् कुर्यात् स्त्रीणां वशीकरणं ॥ ३०॥ कृष्ण अष्टमी से अमायस तक लौंग और दूब के होम से शांति और पौष्टिक कर्मो को तथा कनेर के पुष्यों के हवन से स्त्रीयों का वशीकरण होता है। महिषा ख्याब्ज होमात् प्रतिदिवसं भवति पुर जन क्षोभः कमुक फल पत्र हयना द्राजानो वश्य मायांति ॥३१॥ महिषा गूगल कमल गट्टे के होम से प्रतिदिन नगर निवासियों को क्षोभ होता रहता है। सुपारी के फल तथा नागवल्ली पत्ता के हवन से राजा लोग वश में हो जाते हैं। मल्लि प्रसून होमात् स धताद् वश्यं भवे नियोगी जनः तिलधान्यानां होमैराज्यातै भवति दान्य धन वृद्धिः ॥३२॥ मल्लिका (चमेली) के फूलों को घृत सहित होम करने से योगि लोग वश में होते हैं, तिल धान्य और घी के होम से धन धान्य की वृद्धि होती है। SECT525015015050 ८९ PERISTICISIOSDISTRIOSI
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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