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________________ esebesP555 विद्यानुशासन PSPSP595te prepare चे को २ अँ र उ ra $ ज aufich लक 18 RA आयुम ai भर्टय 20 पदप मृत्युजम fat 22 67 PFIST fil 间 Ce देवदत्तवश्य करूर स्याह सि S त्य & ale fa पा प्रणवने AN Ut देवाभि मत्यजय नानाम नाम झौंकार मध्ये वहिरपि वलयं षोडश स्वस्तिकाना माग्नेयं गेह मुवन्नव शिरिव मथ तद्वेष्टितंत्रि कलाभि दद्याद्वाह्येस्य चत्वार्यं मर पुर पुराण्यं अंतरालस्थ मंत्राण्ये तत्र तत्र लिखित में पहरेत् शाकिनीभ्य सुभीतिं । के बीच में नाम को लिखकर उसके चारों तरफ १६ स्वस्तीक बीज लिखे फिर अग्निमंडल बनावे उसको तीनबार १६ कलाओं से वेष्टित करे। उसके बाहर पृथ्वीमंडल में चार अमरपुर में अंतराल से निम्नलिखित मंत्र लिखे इस मंत्र को विधिपूर्वक लिखा जानेसे शाकिनी भय नहीं होता है । मंत्रोद्धार : 959595959595954 POPS SPSPS
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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