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CSPSP5952
विधानुशासन 959595959526
ॐ वज्रधरे बंध बंध वज्रपाशेन सर्वदुष्ट विघ्न विनाशकानां ॐ हूं हूं योगिनी देवदत्तं रक्ष रक्ष स्वाहा । एर्वास्यांदिशि !!
ॐ अमृत घरं घर घर विशुद्धे ॐ हूं क्षं योगिनी देवदत्तं रक्ष रक्ष स्वाहा ।
॥ दक्षिणस्यां दिशि ॥
ॐ अमृतद्धरे डाकनी गर्भ संरक्षणी आकर्षणी ॐ हूं सूं फटे योगिनी देवदत्तं रक्ष रक्ष स्वाहा | पश्चिमीस्यां दिशि ।।
ॐ रूरू वले ह्रां ह्रीं हूं ह्रौं ह्रः क्ष्मां क्ष्म क्ष् क्ष्मः सर्वयोगिनी देवदत्तं रक्ष रक्ष स्वाहा ॥ उत्तरदिशि ॥
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