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________________ SSIR51215105055 विधानुशासन PARTSPIDERSION धौत सित वस्त्र पिहिते पट्टक पीठे निवेश्य विधिनैव , अति सुरभि कुसुम वृष्टि स्नानेन स्नापयेत् मंत्री ॥१७९ ।। मंत्री इस प्रकार उसको श्वेत वस्त्र से ढके हुए पीले पाटे पर विधिपूर्वक बैठाकर अत्यंत सुगंधित जल से निमलिखित मंत्र से उस पर फूल बरसाते हुये स्नान करावे।। ॐको ज्वालामालिनी ही क्ली ब्लूं द्रां दी हां आंको क्षीं देवदत्तं सुगंध पुष्प जानेन सर्व शांति कुरु कुरु वषट् ॥ पुष्प वृष्टि स्नान मंत्र: एवं विधिना मजस्य तस्य प्रशिनिय नाति देवी श्री सौभाग्य रोग्यं तुष्टिं पुष्टिं ददाति सदा ॥१८९।। ज्वालामालिनी देवी इसप्रकार स्नान किये हुए देवदत्त को सौभाग्य आरोग्य तुष्टि और पुष्टि निरंतर देती है। आयुर्वर्द्धयति ग्रह पीडामपहरति हतुं शत्रु भयं, नाशयति वित्त कोटिं प्रशमयति च बहु विधान रोगान् ॥१९०॥ आयु को बढ़ाती है ग्रह पीड़ा को नष्ट करती है शत्रु के भय को नाश करती है और विन समूह को नाश करती है। नाशयति चित्त कोटिं चित्त-मृत्यु के देयों के समूह को नाश करती है , और बहुत प्रकार के रोगों को नष्ट करती है। एतत ज्वालामालिन्योक्तं सर्वापमत्यु नाशकरं वसुधोरारख्यं स्नान करोति शांति विनियुक्तं ॥१९१ ॥ इस ज्वालामालिनी देवी के कहे हुए सब प्रकार की अपमृत्यु को नाश करने वाले वसुधारा नाम के स्नान को शांति के वास्ते विधिपूर्वक करना चाहिए मृत्युंजय गुरू स्तनधाधैमहतिममत मंत्रण अभि मंस सप्त कत्वः प्रजपेद पराजित मंत्र ॥१९२॥ इस मृत्युंजय मंत्र को गुरू गंध आदि से पूजकर उसको अमृतमंत्र से अभिमंत्रित करके अपराजित मंत्र को भी सात बार जप कर अभिमंत्रित करे। अथ साध्यः शांति जिनं प्रदक्षिणी कृत्य गंध पुष्पायैः, प्राच्यनिम्य जिन सानोदक सिक्तो ग्रतस्तिष्टेत ॥१९३ ।। 5215015015015105051९३८ PISTORI5015215215055
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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