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PSPSPSS 1651 विधानुशासन 259595959595
पिशाच शाकिनी भूतान, बालग्रह नवग्रहान् निहन्यादि तरे वायुरारोग्यैश्वर्य संपदः
॥ ११७ ॥
पिशाच शाकिनी भूत बालकों के पूतना आदि ग्रह और नवग्रह नष्ट करके आयु आरोग्य और ऐश्वर्य की संपत्तियों को देता है।
उत्पातै भूमि कं पाद्यैस्तथा दुःस्वप्न दर्शनैः संसूचितं फलं तत्स्यात्प्रति बघ्नात्ययां विधिः
॥ ११८ ॥
यह भूकम्प आदि उत्पातों को बुरे स्वप्न आदि दिखाने पर उसका फल बतलाता है उस बुरे फल को रोकता है।
उल्लू कादिभिराकांत निंदितं यस्य मंदिरं तस्यां यं विहितः शांति शांति होमो विधास्याति
॥ ११९ ॥
जिसके निंदित घर पर उल्लू आदि आकर उसको खराब करते हों तो यह शांति विधान और शांति होम उसकी शांति करता है।
यो यो भूदझापको हेतुरशुभस्य भविष्यतः शांति होमं मुंकु यांत्तत्त तत्र यथा विधिः
॥ १२० ॥
जो जो होने वाले अशुभ का कारण होता है उन सबके लिये इस शांति होम को उस अवसर पर विधि पूर्वक करे ।
राष्ट्र देश 'पुर ग्राम खेटं कर्वटं पत्तनं, मटंबं घोष संवाह देला द्रोण मुखानि च
॥ १२१ ॥
राष्ट्र देश नगर गाँव खेटक-कर्वट-पत्तन मटंब घोष (अहीरों के गाँव) संवाह और द्रोण मुख ।
इत्यादि द्वीपां ग्रहाणां च सभानां देव वेश्मनां यापिकूपतडाकानां नदीनां च तथैव च
॥ १२२ ॥
इत्यादि द्वीपों घरों सभाओं देव मंदिरों बावड़ी, कुएँ, तालाबों और नदियों के ग्रहों को
शांति होमं पुरस्कृत्य स्थापयेद्दर्भमुत्तमं आचंद्र स्थायित तत्सर्व भवत्येव कृते सति
॥ १२३ ॥
आदि में शांति होम पूर्वक दर्भ की स्थापना करके बनवाने से वह सब चंद्रमा के समय तक स्थायी रहते हैं ।
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