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________________ PHPPS 1595951 विधानुशासन 95959595955 प्रलंब मान लंबूष भूषितं क्षौमनिर्मितं, नवं वितानं वनीयात होम कुंडस्य चोपरि ॥ २८ ॥ तस्मिश्च योजयेन्मंत्री सहे पिपलपल्लवान् समग्राग्रैः शुभैर्दर्भे द्वारि चंदन मालिकां फिर होम कुंड और उसके ऊपर लटकते हुए लबुंष (वन्दनचार) से शोभित रेशम के बने हुए नए चंदोए बांधे। मंत्री उसके द्वार में पीपल के पत्तों और उत्तम दर्भ और चंदन की मालाओं को लगाए । सिंह भाब्जांक चक्र स्रक तार्क्ष्य हंसोक्ष केकितान्, विभ्राणान प्रति रूपाणि लिखितानि विधान वित् ॥ २७ ॥ ॥ २९ ॥ पूर्वादिशु महादिक्षु ध्वजान दश पृथक् पृथक्, होम कुंडस्य वधीयान्नव वीणादि कल्पितान् 11 30 11 फिर विधान को जानने वाला उसको सिंह हाथी (अब्ज) कमल चक्र एक (बाण) तादर्य (गरुड़) हंस बैल मयूर और औरों के चित्र लिखे। होमकुंड के पूर्व आदि दसों दिशाओं में नये बांस आदि से बनी हुई पृथक पृथक दस ध्वजाओं को बनाए । हुतस्य होम कुंड़स्य पूर्वस्यां दिशि पूर्ववत्, संपादयतु भर्तृक्षैराचायै: स्नान मंडपं || 32 || स्वामी की रक्षा करने वाला आचार्य हवन कुंड के पूर्व की तरफ पहले के समान स्नान करने का मंडप बनवाए । मंडपस्यास्य चत्वारि द्वाराणि परिकल्पयेत्, तासु संस्थापयेद्वाषु श्रमान मकर तोरणान् ॥३२॥ उत्तम मंड़प के चार दरवाजे बनाए उन चारों द्वारों में मकर की आकृति वाले उत्तम तोरण लगाए । तन्मध्य मंदराकारं चतुरखलमुज्वलं, वृतं निर्मापयेत्पीठं विशुद्धं मृतिकादिभिः 11 33 11 उसके बीच में मंदराचल पर्वत के आकार वाले चार मेखला युक्त गोल पीठ को शुद्ध मिट्टी से बनाए। C505P50 उत्सेो मेखलानां स्यात वद्वयोकार्द्धाधि करपौक्रमात्, व्याससार्द्ध करौ हस्तौ सार्द्ध हस्तः करौ भवेत् ॥ ३४ ॥ 9595९१२P/5959595959595
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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