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PoesP5959PPS विधानुशासन 25P695959595
मेखलाओं की ऊचाई क्रम से दो एक आधी अंध्रि और एक हाथ हो उसका व्यास भी क्रम से अढ़ाई हाथ दो हाथ और डेढ़ हाथ हो ।
तस्योपरिष्टाद बनीयात् चंद्रोपकमनीदर्श, चित्रैरनध्यैः क्षमायैः व्यानसैरुपकल्पितं
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उसके ऊपर चंद्रमा के समान निरुपम विचित्र प्रकार के रेशम आदि के बने हुए चंदोव हो ।
बध्नीया तत्र दिक्पाल प्रतिबिबकरं वितान केतून, वजांश्च पूर्वोक्ताण् तथा सिंहादि लांछितान्
॥ ३६ ॥
वहां दिक्पालों के प्रतिबिंब से युक्त केतुओं और ध्वजाओं को पूर्वोक्त सिंह आदि के चिन्हों से युक्त करके बंधाएं ।
वस्त्र विचित्रैर म्लानैः मृणालै श्रामरैः सितैः विविधै धन्यक शिफैर्दुर्वा दाना पवित्रया
विचित्राभिः पुष्प मालाभिः मुक्ता दाम भिरुज्वलैः, रम्याकारैः फलैः कमैराम्रात कोशादिभिः
॥ ३७ ॥
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फिर उज्वल और विचित्र वस्त्रों, कमलों, सफेद चमरों और अनेक प्रकार की धान्यों की जटाओं और डाभ की मालाओं से पवित्र विचित्र पुष्प मालाओं उज्ज्वल मोती की मालाओं दाम (मालाओं) रम्याकार (दिल लुभाने वाले) फलों (का) सुंदर (आम्रात) कही हुई हो (कोशादिभि) कविताओं में -
एवं प्रकारैरन्यैश्च वस्तुभिः शुभ मंगलैः मंडपं मंडयेन्मंत्री नेत्रानंदन पंडितै :
॥ ३९ ॥
और इस प्रकार की अन्य नेत्रो को आनंद देने वाली उत्तम मंगल की वस्तुओं से मंत्री मंडप को सजाए।
अभिषेक विधि
प्रातमंत्री विद्या शुद्धं विद्याय सकली क्रियां, स्नानोपकरणोपेतं प्रतिशेत्स्नान मंड़ पं
95959595959595 ११३ 5969695961951
॥ ४० ॥