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95959595959SX विधानुशासन 9595959595
एभिः समांशा विजयातैः समांशा च शर्करा, कर्ष त्रयमिदं प्रातां तन्मधुना सह
दचैव रात्री सत रात्री पिवेन्नरः, क्लीयोपि वृषतो मेति किमेभिर्वहुभिर्गुणैः कंद शेखरोप नाम पूज्य पादेन भाषितः, योग्योयं परम पुंसा वाजीकरण मुत्तमं
गंधका भ्रक धतूर गरलानां चतुष्टये. तैलेनिः शेषमापाच्यमज गोक्षुर वाजिना मूत्रैश्चं पूर्ववत पद्यामातुलिंग फले क्षिपेत्, तद्वाधनं कृत्वा पुटयेत् स्वल्प मात्रकं
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पश्चात् उद्धृत्यतद्भस्म समतैलेन योजयेत्, सूची मुख प्रमाणेन नागवेल्या समन्वितं
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इति कंदर्फ शेखर पाकः
वरी (सतावरी) विदारी कंद वाराहीकंद गोखरू इक्षुर ( तालमखाना) क्षुर (गोखरू) यष्टि (मुलैठी) असगंध क्षितिसुता (पीपल) भाष (उड़द का चून) मोचरस अह्वय (नाम की औषधियाँ) प्रयाल (चारोली ) मजा() खर्जूर (छुवारा) नालिकेर (खोपरा) के फल वानरी कौंच के बीज बीजवंद कदली (कच्चा केला सुखाया हुआ) द्राक्षा (मुनक्का) धात्री (आँवला) तिल यह सब समान भाग और इनके बराबर विजया (भांग) और इन सबके बराबर शकर लेवे तीन तोला इसमें से प्रातः काल के समय शहद के साथ चाटे उसीप्रकार इसको रात के समय पय (दू)) के साथ सात रात तक पीवे तो नपुंसक भी वृषभ (बैल) के समान पुष्ट हो जाता है भला इसके बहुत से गुणों का क्या कहना है पूज्य पाद स्वामी ने इसका नाम कंदर्प शेखर पाक कहा है वह पुरुषों के योग्य अत्यंत उत्तम बाजीकरण है ।
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इदं योज्यं सदा सेव्यं ततशैत्योपचारतः, वरस्य दडवद्भूता स्वदंडम निवारितं शुद्ध गंधक, अभ्रक भस्म, धतूरे के बीज और गरल (वत्सनाभ विष शुद्ध किया हुआ) इन घारों को समान भाग में लेकर, तेल में पकाकर, बकरी गाय के खुर व घोड़े के मूत्र में पहले की तरह 95959/595959595९०६595959595959