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जंबु शमी शिरीषोदंबर तरू बीज पूरजः पूरः, असितं घृतेन सहितं विनाशयेत् पक्षमशनायां
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समुद्रशोख बीजानि पलैकं संग्रहद्बुधः, द्विपलं कोकिलाख्यस्टा बीजं च पररिकीर्तितं
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॥ १९५ ॥
जंबु (जामुन ) सिरस उदम्बर गूलर) और बिजौरे के बीजों के पूर (खाने) को घृत के साथ आशित (खाने) से एक पक्ष तक अशनाया (भूख) को नाश करती है।
परिभावितानि बहुशः पशु मूत्रे बीज पूर बीजानि पीतान्युष्णां भोभि: स्तंभ रागस्य कुर्यति
॥ १९६ ॥
पशु के मूत्र में बहुत बार भावना दिये हुए बिजोरे के बीजों को गरम जल से पीने से यह स्तंभन का कार्य करता है।
॥ १ ॥
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