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2/52/525959595! Rungyiza Y505PS25ESEA
क्षमसह पल व वर्णों में मलवरयूँ मिलाकर आठ कमल के दलों में लिख कर्णिका में ग्लौं के अन्दर नाम लिखे। फिर दोनों मंत्रो से वेष्टित करे इसको बाहर पृथ्वी मंडल से वेष्टित करें, कुंकुम हरताल आदि से लिखे तो अपनी इच्छा किये हुए का स्थभन होवे ।
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पतये अग्नि
स्तंपनि
स्वाहा ।
पंच
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क्षि
नाम
दं दिव्यो
तारिणी
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Posta
प्रज्वल
पिंगलाद
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श्रेयस्करी ज्वल
अनल
ॐ
ब्रह्म ग्लौंकार पुटं टांता वृतमष्ट वज्र सं रूद्रं. वामं वज्राय गतं तदंतरे रांत बीजं च
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सिं
॥ १७६ ॥
वात्ताली मंत्र वृत्तं वाह्येष्टौ विन्यसेत् क्रमशः, मलवरयूंकार समेता न क्ष ष मठ स हरांत लांता स्तान् ॥ ९७७ ॥ ॐ वार्ताली वाराही वराह मुखी जंभे जंभिनि स्थंभ स्थभिनि अंधे अंधिनि रुंधे धनि सर्वदुष्ट प्रदुष्टानां क्रोधं लिलिमितिं लिलि गतिं लिलि जिव्हां लिलि ठठठ ॥
अर्थ वार्तालि मंत्र ब्रह्म ग्लौंकारपुटं उंकारं पुटग्लॉकारं पुटमिति द्वयं कथं भूतं टांता वृतं ठकारारा वृतं पुनः कथं भूतं अष्ट वज्र संरुद्धं वज्राष्टकै सम्यग् रुद्धं वामं वज्राग्र गतं उकारं वज्राणामग्र स्थितं तदंतरे तद्वज्रांतराले रांत बीदं च रकार स्यांत: संत:
SP/St POP695 ८३PSP/5PSP5959529