________________
SPSP
SPPY विधानुशासन 959595959595
दिग्विन्यस्त क्षि बीजांतर लिखित लकारं ठकारा वृत्तांगं, द्विद्धात्रि मंडलातंन्निहि त मुपहत ब्रह्म लींकार कोष्टं ॥ ११४ ॥
टंकर बेटं क्षिति तल महिलाचंवेनाम गर्भ,
हम्ल्यू कारं भूर्ज पत्रे लिखितमरि कुलं तस्य सं स्तंभमेति ॥ ११५ ॥ ॐ हम्ल्यू ग्लौंदमं ठं अमुकस्य जिह्वां स्तंभय स्तंभय ठः ठः ॥ पूजा मंत्रः दिशाओं में रखे हुए खिं बीज के अन्दर ठकार से आवृत (घिरा हुआ) ल लिखकर दो पृथ्वी मंडल और एक वायु मंडल इस प्रकार तीनों मंडलों के कोणों में ब्रह्म (ॐ) और लीं हो । और फिर ग्लौंदमं हम्ल्य के बीच में नाम लिखकर पृथ्वी मंडल वाले सि यंत्र को भोजपत्र पर जो लिखता है उसका शत्रु कुल स्तंभन को प्राप्त होता है।
यूं यूं यूं यूं मूं यूं
赳
真
.
यूं यूं यूं यू यूं यूं यूं
2.
Pras
यू यूं यूं यूं यूं यूं
مر
امرا
44.
پدر
ر
यूं यू मुं
A..
تو
pcl.
M
a.
..
SH
3.
Gd
s.C.
W
स्वाहा वशकराय ॐ सर्व सत्त
PSPPSP59
यूं यू यूं मू
यूं थू यूं यूं मूं यूं यूं
मूं यूं यूं मूं यूँ यूं यूं
नाम
ॐ धरणेंद्र आज्ञापयति स्वाहा
यू -
h h h h h h h h h
h h h E T
ht
ॐ पाश्व
तीर्थराम स्वाहा
A...
శ్రీరా
a.
W
यूं यू यू यूं यूं यू
यू यू
...
A...
.
Ayo
kre
""
단
15.
Arv
Pre
'
थू यूं यू यूं यू यू
यूं यूं सूं यू यूं म
이
Fro
a..
A.C.
정
"ays
bro
यूँ यूं म् यू
pati.
क
F
८७४ PSPSPSPSP595951