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________________ C52525252525 Augendta Y52525252525 कड़वी तुंबी की जड़ को पाभा का बोझ और सुर मंत्री (देवदास) को मुख या शरीर पर रखने से कौशेयक ( शस्त्र) रुक जाते हैं। भौतेऽह्नि रवि पुष्पेवा ग्रहणे अर्कस्य वा हृतां, रुणद्धि पाटली मूलमसिमास्यां तर स्थितं ॥ ९३ ॥ भूत (आसोज माह की कृष्ण चर्तुदशी के दिन भूत दिन) रविवार और पुष्प नक्षत्र के योग के दिन अथवा सूर्य ग्रहण के दिन लाई हुई पाटली मूल (पांडूर फली की जड़) को मुँह में रखने से तलवार (असि) रुक चाती है। . यस्यास्याभ्यंतरे क्षिप्ता पुष्पे पाठा जटा हता, असिः स्थितापि निर्हेतु तदं गानिन पातयेत् ॥ ९४ ॥ पुष्प नक्षत्र में लाई हुई पाठा (पाठ) की जड़ जिसके मुँह में रखी जाती है यह असि (तलवार) के नीचे आ जाने पर भी तलवार गिरकर उसके अंगों को नहीं काट सकती। गृहीत्वां विधि वद्ध निक्षिप्ता लक्ष्मणा जटा, असः सिता न तस्यापि कुर्वीत स्तभनं युधि ॥ ९५ ॥ लक्ष्मणा की जड़ को विधिपूर्वक लाकर मुख में रखने से युद्ध में सिर पर झुकी हुई तेज तलवार का भी स्तंभन होता है। नीली मूलं च सुठिं च भूयः सं च खादतः, नरस्य युद्धिनां गानि छिन्नति निशितोष्पसिः ॥ ९६ ॥ नील (नील निगुंड़ी) की जड़ और सोंठ को चाबकर खाने से पुरुष के अंगों को युद्ध में तेज तलवार भी नहीं काट सकती । भूताहे मूशली मूलं गृहीतं पुष्प संयुते. निरुणधि धृतं मूर्ध्ना शांखड़ग ग्रहानपि ॥ ९७ ॥ भूत दिन (कृष्ण चर्तुदशी के दिन) में पुष्प सहित मूसली की जड़ को लाकर सिर पर रखने से वह बाण खड़ग और गृहों को भी रोकती है। यथा विधि वेवर देवदालि जटाक्षता, संस्तं भवेद शीनवाणा नरातीश्च मुखे धृता PSPSPPSPSPSSPPSP595959595 ॥ ९८ ॥
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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