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________________ STORIEOSDISTRISTRI5 विधाबुशासन 275TODIPINIOSRIDESI ४६ ही अजिना नाम ही मोहामै ARR ही विजया पत्तं जारी विदारी रुग्जपेंद्रा गुरु चंदनाः पिष्टा, हिम जलेनांग लिप्ताः शस्त्राणि वारणा ९०॥ पतंजारी () विदारी रुक (कूट) जवे का फूल इंद्रायण अगर चंदन को हिम चंदन को हिम (बर्फ) के पानी से पीसकर शरीर में लेप करने से हथियार रुक जाते हैं। भूमि गदम्बकविभीतक नंद्या वत्तांगकर्णिका, पत्या शस्त्राणि युद्धरंगे लिप्ता वस्तांभिसा पिष्टा: ॥९१॥ भूमि कदम्ब (कदंभ) विभीतक (भिलावे) नंद्यावर्त (तगर) अंग कर्णिका पत्या को बकरे के भूत्र में पीसकर लेप करने से शत्रु रुक जाते हैं। कटु तुंबी जटा पाभा भारायां सुर मंत्रिणाः, कोक्षेटाकं निधीत मुरवे वा मुन्दिन वा धृताः CISIOTICKETERTAIPTETEKSIKS८६८ V IDEISTRICTORSDTATOIES ॥ ९२॥
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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