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________________ DISTRISTRISTRISTOTSITEST विद्यानुशासन 195ISISTRICISOTES जयाद्या दिक्षु कोणेषु विजयाद्या लिरवेद्वाहि, चकं पतमिदं शक्त मस्त्र शस्त्रादि रक्षणे ॥८४॥ माहेंद्र मंडल के अंदर क्षीं बीज को लिखे उस क्षों बीज में साध्य का नाम लिख्खे उसको तीन बार ह्रीं बीज से वेष्टित करे। उसके बाहर दिशाओं में जया आदिग देवियों को और कोण में अर्थात् विदिशा में विजया आदि को लिखे उस चक्र को लिखकर धारण करने से पुरूष युद्ध में अपनी अस्त्र और शस्त्रों से रक्षा कर सकता है। जयंति संग्रामेरिणां सहस्त्रमपि सायकान्, पीतं या लक्षणो सुरभेद्भवलं विषं ||८५॥ गाय के दूध के साथ सफेद विष का पीने से पुरुष युद्ध में हजार शत्रुओं के बाणों को भी जीत लेता है। अजां संधरतो स्त्रेषुभयं जातुन जायते, अहिंसा मूलमाहत्य पुष्पार्क सोम दिग्वनं ॥८६॥ पुष्प नक्षत्र में सोम (उत्तर दिशा के वन में से अहिंसा () की मूल को लाकर सेवन करने से युद्ध में घूमने वालों को अस्त्रों से कभी भय नहीं होता। निदध्यादानेन योद्धा तत् शस्त्राणि निवारयेत्, उपयुक्तमिदं योद्धा पियंतं तंदुलं वारिणा ||८७॥ योद्धा इसको चावलों के पानी से पीसकर यदि मुँह में रखे तो शस्त्रों का निवारण हो उस समय जो शस्त्र आते भी हों उसके शरीर को नहीं भेद सकते। टावर्जयति तं गात्रं शस्त्रे स्ता वन्नाभिद्यते। उसका शरीर जीर्ण होने पर अस्त्रों से भेदा जा सकता । शक्राशा स्थितं मन्नं श्री पणी मूलमतलभे विधिवत्, वद्रं करेथ मूर्द्धनि शस्त्राणि रणो निरूद्धितः ॥८८॥ शक्र (इन्द्र) की पूर्व दिशा में सिथत श्री पर्णी () की जड़ को यदि विधिपूर्वक लेकर हाथ में बांध लेवे तो युद्ध में शस्त्र भी रूक जाये। भूततिथौ कुज वारे व्युददो तेन निर्मितं वलयं, शस्त्राणि वारयेद्यो युद्धिष्टिराद्यो नरं हतवान् ॥८९ ।। कृष्ण चतुर्दशी तथा कुजवार (मंगलवार) को सूर्योदय के समय उससे कड़ा बनाकर पहनने से युद्ध में बहुत से योद्धाओं को मारने वाले शस्त्र भी रुक जाते हैं। eeeeeeeo $ශ වලටකටක
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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