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________________ SSISISTOR5125555555 विधानुशासन 751005101501505IOTISE गाय के बच्चे या बिच्छू के पीने से बचे हुए दूध को सिर पर रखने से अस्त्रों का निवारण होता है। शकवल्याः शिफा अंगे पीत्वा क्षीरेण कल्किते, ते वंदधतं मूर्दानां स्त्राणि प्रष्टमी हते ॥७७॥ शक्रवल्ली (इन्द्रायण) की जड तथा अंगी (वत्सनाभ ) के दूध में बने हुए कल्क को पीने से तथा सिर पर रखने से अस्त्रों का निवारण होता है। सितेषु रिवका मूल मास्ये शिरसिवाधतं, स्तंभांति च संग्रामें सहश्रमपि सायकान ॥७८॥ सफेद सरफोंके की जड़ को मुह या सिर पर धारण करने से हजार बाणों काभी स्तंभन होता है। पीत्वा सितायाः क्षीरेण सुरभेड़वलं विषं, अजौ संचरतो स्त्रेभ्यो भयंजातुन जायते ॥७९॥ सफेद गाय के साथ सफेद विष को पीकर युद्ध में घूमने यालों को अस्त्रों का भय नहीं होता है। अहिस्ता मूलमाहत्या पुष्पार्क सोम दिग्गतं, निदध्यादानेन योद्धा तत् शस्त्राणि निवारयेत ॥८ ॥ अहिस्ता() की जड़ को पुष्प नदात्र और इतवार के दिन जो उत्तर की दिशा में उगी हुई हो उसको लाकर सेवन करे तो योद्धा के अस्त्रों को दूर से ही रोकता है। उपयुक्तमिद योद्धा पिष्टं तंदुल वारिणा तया, जीर्णति तदगाने शस्त्रे स्तावन्नभिद्यते ।।८१॥ जो योद्धा चावलों के पानी के साथ पीस कर उपयोग करता है उसका शरीर अत्यंत जीर्ण होने पर भी शस्त्रों से नहीं भेदा जा सकता है। माघे मासे त्रयोदश्यां तिथौ उद्यति भास्वति, वाजि गंधा शिफा पीता वारिणा शस्त्र वारिणी ॥८ ॥ माघ मास की त्रयोदशी तिथि को सूर्योदय के समय वाजि गंधा (असगंध) की जड़ को पानी के शाथ पीने से वह शस्त्रों का निवारण करती है। ॥८३॥ माहेन्द्र मंडलं स्टांते क्षीं बीजं न्यस्य तत्रतु, नाम संलिरव्य साध्यस्य ह्रीं बीजैर्वेष्टोत त्रिभिः SASIRISTOTSISTRICTS5I015 ८६६ VEDIORITICISTRIDICTSCIES
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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