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________________ SSORRISTRISTRICT विद्यानुशासन 500501525TRISTS महामंडल मध्य मंडल पंचकं संयुक्ते, प्रतीके जिनं स्थापयेत तत्समीप ॥१३२॥ जल संयुत महामंडल वस्त्र श्री फल संयुतं, घटमेंक विधाय पुण्याह वाचनां संकल्पं च कुर्यात् ॥१३३ ॥ महासेज के बनाये हए त्रिवर्णाचार में महामह विधान का वर्णन किया गया है। जिनेन्द्र भगवान को नमस्कारकरके मैं महामह का वर्णन करता हूँ । एक बड़े भारी मंडल के मध्य में पांच मंडजलो से सहित जिनेन्द्र भगवान के पास प्रतीक की स्थापना करे।जल सहित महामंडल अत्यंत शोभित वस्त्र नारियल सहित एक घड़े को रखकर संकल्प करके पुण्याह वाचन पढ़े । यटोपरि जलेन सेवते पश्चात् तस्मिन्मडले कोष्टानि कुर्यात्, अष्टाधिकैकसहस्त्राणि तेषामुपरि घटानि तावत्प्रमानि स्थापयेत् ॥ १३४॥ संठि बिल्व पिप्पल मरिचानां सटानि पंच दश सर्वोषधि युतराटो बिल्व नालिकेर, पंच गव्य बादाम संयुत जलानि पंच दश घटानि दुग्ध दधि पत संयुत घटानि ॥१३५॥ पंचदश सर्वोषधियुतयटानि स्थापटोयुः, सप्त सर्व रवाय घटानि स्थापयेयुः सप्त पेय घाटानि सप्ताचम्य पटानि, पंचामृतयटानि पंच सर्वोषधि पटानि भेदौषधिनां 1१३७॥ सहदेवी कुमारिका दीनां पंचदश घटानि, पूर्ण जल भृतानि गंधोदकानि पूर्ण आभिषेकस्य सप्त ॥१३८॥ घड़ों के ऊपर जल को डालने के पश्चात उस मंडल में एक हजार आठ कोठे बनावे|उन कोठों में उतने ही घड़ों की स्थापना करे फिर सोंठ बेल पीपल काली मिरचों के घडे पन्द्रह सर्वोषधि सहित घड़े बिल्व नारियल पंच गव्य बादाम सहित जल के पंद्रह घडे दूध दही पत सहित पन्द्रह घडे सर्वोषधि सात घडों की स्थापना करे,सर्व खाने के पदार्थो के सात घड़ों की स्थापना करे, पीने योग्य पदार्थो के सात घडे, आचमन करने योग्य घड़े, पंचामृत के पांच घड़े, सर्वोषधि के घडे, दूसरी औषधियों
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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