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51005IOSDISTRI505 विधानुशासन VDIOISSETOISIOSOSI मंत्री उस कमल के बाहर वरूण मंडल लिखे और उसके बाहर बम्ल्वयूँ बीज को उसके गर्भ में नाम रखकर लिखे
वलय विलिरवे बाह्ये तस्ट विलेख्या वहिः कलाः सकला:, कोणात् कूट पिंडं तदनु विलेख्यं महिवलयं ॥९८॥
बाह्ये तस्य ककार प्रभतीन वर्णान् हकार पटांतान,
पशम या प्रणय रहिरण्य: रेतः प्रियायाश्च ॥९९ ॥ उसके बाहर यलय बनाकर उसके बाहर सब कलाओं सोलह स्वरों को लिखे उसके पश्चात पृथ्वी मंडल बनाकर उसके कोणों में कूटपिंड क्ष्ल्यूं लिखे। उसके बाहर क से लगाकर ह तक के सब अक्षरों को लिखे जिनके आदि में ॐ और अंत में स्वाहा लगाकर लिखे।
हंसा रूदान विलिवेत् सार्द्ध मंत्रेण पूर्वमुक्तेन्,
रक्षा यंत्रे मंत्री माला मंत्राभिधानेन ॥१०॥ फिर पहले कहे हुए मालामंत्र के साथ हंसारूढ़ को लिखकर मंत्री रक्षा यंत्र बनावे ।यह रक्षा यंत्रहै।
पायगं स्थित सरतरु हारि चतार युक्तम व जि पुरं,
कृत्या तथास्थ बा हो नवनिधि पिंडाः समालख्याः ॥१०१॥ उसके दोनों तरफ कल्प वृक्ष बनाकर चार द्वार वाले पृथ्वी मंडल को बनावे फिर उसके बाहर जौ निधियों के पिंडाक्षरों को लिखे।
रक्त सित हरित पीतैः संपूर्णा लक्षणैः शुभैः सर्वैः,
फल वरदकरा विलिरयेत् दिक्षु श्री कीर्ति पती कांती ॥१०२ ॥ फिर लाल सफेद हरे और पीले सब शुभ लक्षणों से पूर्व हाथ में फल और वरदान लिये हुए श्री कीर्ति धृती और कांति देवियों को दिशाओं में लिखे।
अब्ज स्वस्तिकं शनिर्नयां वर्तस्य कुसुममपि,
तासां विदुरासनान्यमूनि क्रमेण चत्वारि मंत्र विदः ॥१०३ ॥ उन देवियों के क्रमशः कमल स्वस्तिक वज और नंद्यावर्त के फूल इन चारों को उन देवियों के आसन कहा है । CISIOISTRISTRISTI501525 ८२९PSIRISTOTSEXSTORIES