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STRICTSEISIOISO15105 विधानुशासन ISIODOSTOTRICISION
सहिर एो यटे सूत्र वेष्टिते सिद्ध मृतिका. क्षीर गुम शमी बिल्व शिरीषासन बल्कलं
||५३॥
पदमा लक्ष्मी सहा पाठाकांता गोबंधिनी दत्तां,
रत्नान्यायः स्वयं शुद्धाः शुद्धि मंत्रेणा निक्षिपेत् ||५४॥ धागा लपेटे हुए सोने के घड़े में, शुद्ध मिट्टी, क्षीर दुम (दूधवाले वृक्ष) शमी (खेजडा) बील सिरस असन (विजयसार) वल्कल (वृक्ष की छाल मोलश्री) पद्मा (भारंगी) लक्ष्मी (तुलसी) सहा (गवार पाठा) पाठा (पाठ) क्रांता (कटेरी) गोवबंधनी (गौवल्ली) के पत्ते दंतां (दंति तिरिफल) और रत्नों को शुद्धि मंत्र के द्वारा जल में शुद्ध करके डाल दें।
ॐ नमो भगवते विश्व जन हिताय त्रिलोक शिरवर शेरवराय विशुद्ध चतुर्मुखारा शुद्धाय शुद्धि करणाय ॐ बं बं यं यं पम्ल्वयूँ स्वाहा ||शुद्धि मंत्र
रत्न दिव्यौषधो पेतं तदभं कुभं सं भत,
अष्टोत्तरशतं मंत्री शुद्ध मंत्रेण मंत्रोत् फिर रत्न और दिव्य औषधियों सहित घड़े के जल को मंत्री शुद्धि मंत्र से एक सौ आठ बार अभिमंत्रित करे।
ॐ अमृतधारिणी इची क्ष्वी अमृतदायिनी स्थावर जंगम कृत्रिम विष संहरिणी देवदत्तस्य अमृताय स्वाहा
अमृत मंत्र:
वार नियमावर्य धारा कारां प्रदक्षिणां , अभिषिं चेत्सुधा मंत्रं प्रजप्त्वा स्तै स्तंभ बुभिः
॥५६॥ फिर तीन बार धारा के आकार की प्रदक्षिणा देकर अमृत मंत्र को जप करके उस जल से स्नान कराएं।
कत संस्नपन स्यास्य साध्यस्य विधिनामुना, अनंतरं च कुवींत सामान्य सकली कियां
॥ ५७॥ फिर उस साध्य को इस विधि से स्नान कर चुकने पर साधारण सकली क्रिया से रक्षा करे।
आचार्येभ्यः तपोभद्रेयो दीनानाथ जनाय च, देयाद्दानं यथा शक्तिः साध्य श्रद्धा समन्वितः
||५८॥ फिर साध्य आचार्यों तपस्वियों और दीन अनाथजनों को यथाशक्ति श्रद्धा सहित दान दे।
SRDISTRIDDISTRISTOTRS८२२ DISTORSD52150505125