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________________ SSIOSIOTSTRASTRIST05 विद्यानुशासन 52152501585OISS रक्षा यंत्र hue A पो भगवते वा वाधि देवाय सा -PM - भाओ श्री २२ पाय सापभयब ही १ अथ शुद्धे पटे भूर्जे पत्रे वा कुंकुमादिभिः द्रव्टीः, सुगंधिभिनाम साध्यस्य प्रथमं लियेत् |॥३८॥ शुद्ध वस्त्र या भोज पत्र पर कुंकुम आदि सुगंधित द्रव्यों से पहले साध्य का नाम लिखे। सु मुहूर्ते सु नक्षत्रे योग्टौ स्वर्ण शलाकया, तन्ना मजित पिंडेन वेष्टटोत्सिद्ध विधटा: ||३९॥ अच्छे मुहूर्त अच्छे नक्षत्र में सोने की अच्छी कलम से इस नाम को अजित पिंडवाले सिद्ध विद्या के मंत्र से वेष्टित करे। ॐ सिद्ध चारणा विद्याधर महारगादि देवगणाः हूं हूं क्षांक्षां झू झू क्ष क्षं हुं हुं देवदत्तं रक्ष रक्ष स्वाहा । सिद्ध विद्यया वहि षोडश पत्रेणा कमले नाभिवेष्टोत्. तद्दलोष्वाउँकला पूर्वम पराजित देवते ॥४०॥ CHRISIOSITICTERTAIO15[८१७ 350SEISEASOISTOISTI
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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