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________________ S5DISIONSIDISADISIS विद्यानुशासन 985105585TIDIOISTORY मंत्रो द्वादश लक्ष प्रजाप्पतः सिद्धिवशमे पति, पश्चोदेतेन च हि स्नानं मारणास्य नाशं करोति ॥८॥ यह मंत्र बारह लाख जप से सिद्ध होता है फिर मंत्र से अभिमंत्रित जल स्नान कर देने से यह मारण कर्म को नष्ट करता है। ॐ हाल पदिशाः सर्वक्षा स्वयंभुवे शिवाय परत्मात्मने परम सुरवाटा त्रिभुवन महिताट अनंत संसार चक प्रमईनाय अनंत ज्ञानाय नमः अनंत दर्शनाय अनंत वीर्याय अनंत सुरवाय सिद्धाय बुद्धाय त्रैलोक्य वंशकराय सत्य ज्ञानाय सत्य ब्राह्मणे धरणेन्द्र फणा मंडल मंडिताय उपसर्ग विनाश कराय धाति कर्मक्षयं कराय अजराय अमयाय अमयाय अमवाटा अस्माकं मृत्यु छिंद छिंद भिंद भिंदहंतु कामंछिंद छिंदभिंद भिंद रति कामं छिंद छिंद भिंद भिंद बलि कामं छिंद छिंद भिंद भिंद सर्व कोधं छिंद छिंद भिंद सर्व बैर छिंद छिंदभिंदभिंद वायु धारणं छिंद छिंद भिंद भिंद अग्नि मंत्राणि छिंद छिंद भिंद भिंद सर्व शन्न छिंद छिंद भिंद भिंद सर्वोपसर्ग छिंद छिंद भिंद भिंद सर्व विघ्नं छिंद छिंद भिंद भिंद सर्व भयं छिंद छिंद भिंद भिंद सर्व चोर भयं छिंद छिंद भिंद भिंद सर्व राज्य भयं छिंद छिंद भिंद भिंद सर्व दुष्ट भयंछिंद छिंद भिंद भिंद सर्व व्याय भयं छिंद छिंद भिंद भिंद सर्व ग्रहभयं छिंद छिंद भिंद भिंद सर्वविषं छिंद छिंद भिंद भिंद सर्वव्याधि छिंद छिंद भिंदभिंद डामरं छिंद छिंद भिंद भिंद सर्व परमन्त्रं छिंद छिंद भिंद भिंद सर्व परकृतं छिंद छिंद भिंद भिंद सर्वरोग छिंद छिंद भिंद भिंट सर्वशूलरोग छिंद छिंद भिंद भिंद सर्वअक्षि रोगं छिंद लिंद भिंद भिंद सर्व शिरोरोगं छिंद छिंद भिंद भिंद सर्व ज्वरोरोग छिंद छिंद भिंद भिंद सर्वनरमारि छिंदादिभिंद भिंद सर्वगजमारि छिंददिभिंदाभिंद सर्याश्चमारी छिंदछिंद भिंद भिंद सर्वगो मारौं छिंद छिंद भिंद भिंद सर्व माहिष मारि दिछिंद भिंद भिंद सर्व अज मारि छिंद छिंद भिंद भिंद सर्वापरमारि दि छिंद भिंद भिंद सर्व विषम कूर रोग वेताल डाकिनी शाकिनी भयं छिंद छिंद भिंद भिंद सर्व वेदनीय छिंद छिंद भिंद भिंद सर्व मोहनीयं छिंद छिंद भिंद भिंद सुदर्शन महाबलचक्र विक्रम बल सत्व तेजोजय शौर्यवीर्याय शांति कुरू कुरू भगवते धाति कर्म छिंद छिंद भिंद भिंद सर्व लोक सर्व देश सर्व सत्वं वशं कुरू कुरू सर्व पापं हन हन दह दह पच पच गन्ह गन्ह पृष्ट पृष्ट शीघ्र शीय सर्ववश मानय मानय हुं फट् स्वाहा। SERI501501501501512151 ८११PISSISTERSIO5275105DIES
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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