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________________ SCSTOISTRISRISTR5R15 विद्यानुशासन P15015050851015015 मारभ्य मंगलांतं प्रतिदिनं निग्रह दारूणा सप्तकं शन्न निग्रह कारकं दारूणा सप्तकानि धेयम शरभ देवताभिधेयं दशद्या दशबारं शत्रु निग्रहार्थ जपेदित्ययं ॥८॥ अधेदस्तोत्र स्तुवन्नुपसंहति इतीति इतिदं स्तोत्रं गुह्य गोप्पं महामंत्रं माला । मंत्र स्वरूपं यद्वा सर्व मंत्रेषु पूज्यो महामंत्र स्तद्रूपं महींद्र पूजायामिति धातुनिः यन्नत्वात श्री शालु वेशीय महास्तवोवै जणां समस्तार्थ करः परोयः टीका कृता तत्र मुदेजनाना मालोक्य तां कार्य मुपा चरंतु आलोक्येति अर्थ ज्ञानायेति भावः यदा हे भरद्वाजः फलं विश्वास भक्तिभ्यां जपादीनं महत्तरं अर्थ ज्ञानं तथा मूलं तस्मादर्थ विधितयेदिति ।। ९॥ इति श्री शरभेश्वर दैवत स्तुति विषयक दारूण सप्तक विवरणा समाप्तम् अब इस स्तोत्रं का शत्रु के निग्रह करने का प्रयोग बतलाते हैं- बुद्धिमान जितेन्द्रिय मांस को नहीं खाने वाली आदमी संध्या के समय दक्षिण दिशा में मुख करके, अपने आप में शिव रूपत्य का अर्थात् मैं शिव हूँ ऐसा विचार करता हुआ, इतवार से लेकर तीन दिन तक अर्थात् मंगलवार तक प्रतिदिन इस शालुभेश्वर के स्तोत्र को शत्रु के निग्रह के लिये दस बार जपे । अब इस स्तोत्र की तारीफ करते हैं। यह महामंत्र है और छुपाने लायक है। परन्तु उत्कृष्ट है और रिपुओं का नाश करने वाला है इसलिये इतवार से मंगलवार तक तीन दिन तक जपना चाहिये। ॐ नमोरि हनन रजो हनन रहस्य हनन जिनार्हद्भयो नमः मंत्रमेकं धर्म रक्षाटां मतं योर दुःरवके, मलेच्छादिभिरूपद्रव समय जाप्प मे वचः ॥१०॥ इस मंत्र का धर्म की रक्षा के वास्ते धोर दुःख के समय या म्लेच्छ लोगों के द्वारा उपद्रव किये जाने के वक्त जाप करे। अथतोवच्मि भो भव्याः श्रृणुत यूटो प्रतिकार मारणां, त्व शुभं लोके अतो वद्य प्रतिषेद्य विधि ॥१॥ लोक में मारणा कर्म बहुत बुरा होता है अतएव हे भव्यो तुम मारणा के प्रतिषध करने की विधि को सुनो CASTOTRIOTOSDISTRISTRISI CORPISTRI5DISTRISTRICTSIDE
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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