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CSCISIOISTRICT विद्यानुशासन ASTRISISTETS5ISISISTER हे साधुओं! के लिए अच्छे शरीर और असाधुओं के लिए कूर शरीर को धारण करने वाले है। नम्रीभूत लोगों के भय को हरनेवाले हे दुष्टों के प्राणों का नाश करने वाले ! मैं तुमसे शीघ्र यह याचना करता हूँ कि तुम अपने आठों पैरों के नखों से. ग्रीवा, (गरदन) जंघा और उदर अर्थात् पेट से लेकर मस्तक तक रहनेवाले मेरे शत्रु के प्राणों को तुम नाश करो अर्थात् उनकी आयु को कम कर दो।
श्री शालोते कराग्र स्थित मुसल गदा वर्त वाता भिटात, मात पातारि यूथं त्रि शिरव विद्यटनोद्भूत रक्तच्छाटाम सं दृष्ट्वा यो घनेज्या निरिवल सुरगणाश्चाशु नदंतु भूता
नाना वेताल पूगा : पिवतु तद रिवलं प्रीत चित्त प्रमत्ताः ॥६॥ श्री शालो इति उदाहृत व्यादि कोशात श्री स्त्रि वर्गसंपदुच्यते अथ च श्रीयते सेव्यते मुमुक्षु भिर सौ वित्ति व्यत्यत्या श्री मुक्तिः वाहुल कात्कचित्कृिवितिक्री प्रदीर्योतयो रेकक शेषेश्रियौतयोः प्रदः शालुः तत्संवद्रो तथा एतेन धर्मार्थ काम लक्षण त्रिवर्ग संपत्प्रदत्वं मुक्ति प्रदत्वंचा स्टोक्त एवं च हे चतुर्वर्गप्रद श्रीशालो ते तवकर पल्लव वर्तिमुसलगदयोर्यदायत आवर्तनंभ्रामणां तज्जनि तस्य वातस्याभियातेन तथा तज्जनित ध्यातेन शब्देन च आपातो भूमि पतनं यस्य तादृशं अथ च त्रिशिरव विघटनेन करान वर्ति त्रिशूल परिघट्टनेनोद्भूतानिः सताया रक्त छटा शोणित प्रवाह स्तेनाद्रविभक्तंचारि यूथं रिपुवंद सं दृष्टवा सम्यग्दृष्टया अति प्रसन्नं चित्तेन दृष्टवेति यावत आयोयने ज्याः आयोधनं युद्धं तत्रेज्याःपूज्याः युद्ध प्रशस्याःशूरा इति यावतमायोधनं जन्य प्रयनं प्रविदारणा मित्यमरः तथा निरिवल सुरगणाक्ष आशु शीय नदंतु तुष्यंतु तथा भूता नाना विद्यास्तव भूत गणा स्तथा वेताल पुगा वेताल वृंदानि च प्रीत चित्त प्रमत्ताः चित प्रसाद भारेणोन्मत्ताः संत अरिवलं तत त्रिशूल भेदोद्भूतं रक्त वृंदं पिवंतु इत्यर्थःमूलेपि वत्वित्येक वचनमाषपूगःक्रमुक वृंदटो रित्यमरः ॥६॥
अत्र सर्वत्रामुकं दण्डयेति द्विर्योज्यम
हे त्रिवर्ग सम्पत्ति और मुक्ति के देनेवाले तुम्हारे हाथ में रहनेवाले मुशल और गदा के अमन से उत्पन्न हुई वायु के अविद्यात से- जो मेरे शत्रुओं का समूह जमीन पर गिर गया है, और त्रिशूल के विघट्टन से उत्पन्न हुआ रक्त की छटा से जोगीली हो गई है- ऐसा शत्रु समूह को युद्ध में देखकर सारे शूरवीर शत्रुगण और नाना प्रकार के वेतालों का समूह उन्मत्त को प्राप्त हो, तया वे प्रसन्नचित्त होकर मेरे शत्रु के रक्त को पीएं। SETOISTOISTRISESIDD51 ८०७PISISTERIST51005RISES