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________________ } I 252525252 51 विधानुशासन 9595959519xse ॐ नमो भगवते श्री घोणस हरे हरे चरे चरे तरे तरे वः वः बल बल लां लां रां रांरीं रीं के के रौं रौं रः रः रस रस लस लस क्ष्मां क्ष्मीं ह्रां ह्रीं हूं ह्रौं ह्रः नमः श्री घोणसे घय घय स स स स स ह ह हह ह व व व व व 555 5 5 द द द द द ठः ठः ठः ठः ठः गगगगग वर विहंग भुजे क्ष्मां क्ष्र्मी क्ष् क्ष्मों क्ष्मः ह्रां ह्रीं हूं ह्रौं ह्र: ह्रीं शोषय शोषय रोषटा रोषय ॐ आं क्रौं ह्रीं इवीं क्ष्वीं हः जः जः जः ठः ठः ठः श्री घोणसे नमः ॥ इदं वा ॐ नमः श्री घोणसे रस रसक्षां क्षीं क्षं यं सः यं सः क्षं हरे हरे वरे वरे वः वः वः वल वल वल लां लां रांगंरींरींरों रों वीं क्ष्वं हं हां भगवती श्री घोणसे घघवघवघवयंसः यं सः घंसः यं सः यं सः सहः सहः सहः सहः सहः सहः सहः सहः हः वः स्व क हः यः स्व क हः वः स्वक हः वः स्व क हः वः स्व क हः वः स्व क हः वः स्व क हः वः स्व क हः वः स्व क क ड क सः ङकङकङ कङ कङ कङ क ङ ङ ङ ङ ङ ङ ङ ङ ङ वगः वेगः वगः वगः वगः वर्ग: वर्गः वर्गः वर वर वर वर वर वर वर वर स्वविहंगम भुजे क्ष्मां क्ष्मीं मूं क्ष्म क्ष्मः वैरि स्तोभद्य स्तोभय ॐ ठः ठः ग ग श्री घोणसे स्वाहा ॥ ज्वाला गर्दभ विस्फोट लूता स्फोडट भगंदराः, शाकिनी विष रोगाश्च नश्यत्यस्य प्रभावतः ॥ ७९ ॥ इस मंत्र के प्रभाव से ज्याला गर्दभ फोड़ कान खजूरे का फोड़ा भगंदर शाकिन्या और विष के रोग नष्ट होते हैं। निग्रहं भूत शाकिन्योः कुर्यात् घोणस विधया, अभिमंत्रित गृहे क्षिप्तै सिद्धार्थैरहि चालनं ॥ ८० ॥ घोणस मंत्र के द्वारा भूत और शाकिन्या नष्ट हो जाती है तथा इस मंत्र को सफे द सरसों पर पढ़कर उनको घर में डालने से सांप घर से भाग जाते है। अनि दग्धे वृणे लिंपेत् कुंभि सारं सुपेषितं, क्षीरेण तत्क्षणादेव हानि हस्य जायते ॥ ८१ ॥ कुंभ सार (गूगल) को दूध में पीसकर अग्रि से जले हुए जख्म पर लेप करने से उसकी जलन उसी समय नष्ट होजाती है । सुप्रकाशु मना पुत्र का विश्व लेपिका ठः ठः ॥ 0505050/50/50505L1505PSP 25PSPS
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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