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________________ 2595195951957 विद्याभुशासन 9595952959595 (अनुस्वार) सहित तथा तीन तेजांसि रोज ॐ ॐ ॐ को लिखे। इस यंत्र को धारण करने से मसूरिका ( मसुरी - माता की बीमारी का रोग दूर होता है। रुजः (बीमारी) उत्तर हरिति जटार्क पिष्टी ज्येष्टां बुना, पीता हरति मसूरी मथवापान पर्णेद के पीते ॥ ४६ ॥ जटा (जटामासी बालछड़) अर्क (आक) की पिट्टी को ज्येष्टा (राजेष्टा केला) के अंबु जल में पीने अथवा पाठा लता के उदक (जल) को पीने से मसूरिका उतर जाती है । क्षीरी श्रृंग रुजो शीर यष्टि गोपी हिमोत्पलैः, स्यादूर्वा स्वरसे सिद्धं सर्पिः सर्व विसप्प नुत ॥ ४७ ॥ क्षीरी ( ) श्रुंग (काकड़ासिंगी) रुज (बीमारी) को उशीर (खस) यष्टि (मुलहटी) गोपी (श्यामलता) हिम (चंदन) उत्पल (नीलोफर) दब के रस में सिद्ध किया हुआ घृत सब विषों को नष्ट कर देता है । साध्या साध्यं परिज्ञायत द्रूपं च विशेषतः, मंत्र तंत्र प्रयोगेन नये ज्याला खर क्षयं ॥ ४८ ॥ साध्य और असाध्य तथा विशेष रूप से उसके रूप को जानकर मंत्र और तंत्र के प्रयोग से ज्वाला गर्दभ रोग को नष्ट करे । प्रथमं कपिलो नाम द्वितीयो गौर उच्यते, तृतीयो मृत्यु कालश्च चतुर्थः पिंगलो भवेत् विजय : पंचमो ज्ञेयः षष्टस्तु कलहो प्रियः, सप्तमः कुंभकर्णः स्यादष्टमपि विभीक्षण: ॥ ४९ ॥ 25 ७४५ ॥ ५० ॥ ॥५१॥ नद्यमश्चंद्र हासः स्यादश्मोपि च दुर्द्धरः, एतेः दश विधा लोके ज्वाला गर्दभ संज्ञिनः पहला कपिल, दूसरा गोर, तीसरा मृत्यु काल, चौथा पिंगल होता है पांचवाँ विजय, छठा कलह प्रिया, सातवाँ कुम्भकर्ण, आठवां विभीषण होता है, नवाँ चंद्रहास, दसवाँ दुर्द्धर होता है। लोक में ज्वाला गर्दभ के दस प्रकार के नाम है । PSP59SP 595959
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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