________________
0501512150151015015 विधानुशासन 850550550552I5DIST
यव कृष्णा चणक सर्षप मारा ताड़ितो ज्वरः क्षिप्त,
उत्तरति मस्त कादिह वृश्चिक पीड़े व चित्रमिदं इस मंत्र को पढ़कर जो सरसौं उड़द को अभिमंत्रित करके मारने से ज्वर उसी वक्त मस्तक से उतर जाता है और बिच्छू के काटे की पीड़ा भी उतरती है यह भी आश्चर्य है ।
ॐभस्मायुधाय विद्महे एक दंष्ट्राय धीमहे तन्नो ज्वरः प्रचोदयात् ॥
गायत्री मंत्र सहस्त्र जाप सिद्धेन मंत्रेणानेन मंत्रिता,
भूतिज्वरित विकीर्णा हरति ज्वरं इस मंत्र को एक हजार जना से सिद्ध करके अभिमंत्रित राख्न ज्वर गले के शरीर पर डालने से ज्वर नष्ट हो जाता है।
मंत्रोयं लिरिवतः पत्रे ज्वरितास्या विदर्भितं, आमुक्तो ज्वरित स्यांगे ज्वरान् नान प्रणाशयेत्
॥७॥ यदि इस मंत्र में ज्वर के नाम को विदर्भित (गूंथकर) पत्र पर लिख कर बांधे तो यह ज्वर वाले के सब प्रकार के ज्वरों को नष्ट करता है।
उष्ण ज्वर भूताना मा वेशो भवति चरण हत,
शीर्षेन्यस्तेः क्रमशो ह्रां ह्रीं हूं वर्णैःरुदय रवि सदृशैः ॥८॥ चरण हृदय और सिर में क्रम से हां ही हू का उदय कालीन सूर्य के समान वर्ण याला ध्यान करके लगाने से उष्ण (गरम) ज्वर के भूतों का आवेशन होता है।
शिरिख भवन स्थाकारं शीत ज्वर दारकं, .
हृदि न्यस्तं केवलमूष्ण ज्वर हरमित्युदितं मंत्रिभिमरव्यैः ॥९॥ अग्नि मंडल के बीच में स्थित आं बीज का हृदय में न्यास करने से शीत ज्यर नष्ट हो जाता है। बिना अग्निमंडल के केवल आकार का मुख्य मंत्र शास्त्रियों ने उष्ण ज्यर को नष्ट करने वाला कहा है।
ॐनमो भगवते गज गज भस्म भस्म ज्वल ज्वल महा भैरव सर्व ज्वर ज्वर विनाशनं कुरु कुरु सिद्ध विसिद्ध हुं फट ठः ठः ॥
अभ्यर्च्य सितैः कसमैः शिव मारष्टमी चतुर्दश्यां,
लक्षं प्रजप्पनं मंत्र नायान्मंत्री ज्वरानश्येत ॥१०॥ CTECISIOSCRISISTRITICIS७३६ 250ISORDCRETARITICIST